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Hindi Essay and Paragraph Writing – Basant Ritu (वसंत ऋतु) for classes 1 to 12
वसंत ऋतु पर निबंध – इस लेख में हम वसंत ऋतु बसंत ऋतु का महत्त्व, बसंत ऋतु की विशेषताएं आदि के बारे में जानेंगे | मौसम को छह ऋतुओं में विभाजित किया जाता हैं – ग्रीष्म ऋतु, शीत ऋतु, वर्षा ऋतु, बसंत ऋतु, शरद ऋतु, शिशिर ऋतु | इन सबमें बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति यानि उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा बढ़ जाती है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में वसंत ऋतु पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में वसंत ऋतु पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350 और 1500 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।
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- वसंत ऋतु पर 10 लाइन
- वसंत ऋतु पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
- वसंत ऋतु पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
- वसंत ऋतु पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
- वसंत ऋतु पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
वसंत ऋतु पर 10 लाइन 10 lines on Basant Ritu in Hindi
- वसंत एक खूबसूरत मौसम का ऋतु है, जिसके आगमन से प्रकृति जीवंत हो उठती है।
- वसंत ऋतु की शुरुआत फरवरी और मार्च के महीने से होती है।
- वसंत ऋतु सर्दियों के जाने की और गर्मियों के आने की आहट देता है।
- वसंत ऋतु में पहला त्यौहार बसंत पंचमी होता है जो वसंत के मौसम के आगमन को दर्शाता है।
- वसंत ऋतु में महाशिवरात्रि और होली का भी त्यौहार मनाया जाता है।
- वसंत ऋतु फूलों के खिलने और कायाकल्प का समय होता है।
- वसंत ऋतु में ही आम के पेड़ बौरो से लद जाते है।
- वसंत ऋतु में हमेशा ठंडी ठंडी हवाएं बहती रहती है।
- वसंत ऋतु में आसमान बहुत ही साफ रहता है और चारो तरफ हरियाली रहती हैं।
- वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा या ऋतुराज और कुसुमाकर भी कहा जाता है।
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Short Essay on Basant Ritu in Hindi वसंत ऋतु पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में
वसंत ऋतु पर निबंध – वसंत ऋतु खुशी, उत्सव और नई शुरुआत का मौसम है। यह एक ऐसा मौसम है जो नए सिरे से शुरुआत करने का प्रतीक है। वसंत हमें और हमारे आस-पास के वातावरण को फिर से जागृत करता है, सब कुछ वापस जीवन में लाता है। रंग-बिरंगे फूल, उत्सव और प्रकृति में प्रचुर विकास जीवन के चक्र का प्रतीक हैं।
वसंत ऋतु पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
वसंत ऋतु छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो भारत में फरवरी मार्च और अप्रैल के बीच में आता है। इस ऋतु के आने पर मौसम बहुत सुहावना हो जाता है। न ज्यादा सर्दी लगती है और न ज्यादा गर्मी लगती है, मौसम सामान्य रहता है। मौसम सामान्य रहने से पेड़-पौधे, फूल, पत्तियां, फसलें पूरी तरह से खिल उठते हैं। आम के पेड़ों पर बौर आ जाता है और बौर से लदे हुए आम के पेड़ देखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगते हैं। खेतों में लगे सरसों में पीले फूल खिल जाते है। जिससे प्रकृति की सुंदरता और भी बढ़ जाती है। अत: वसंत ऋतु को प्रकृति की सुंदरता का ऋतु कहा जाता है।
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वसंत ऋतु पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्योंकि वसंत ऋतु सभी ऋतुओं से बेहतर होती है। अन्य देशों में केवल तीन ऋतुएँ होती है जबकि भारत में कुल छ: ऋतुएँ होती है। जिसमें से एक वसंत ऋतु होता है। यह ऋतु मार्च और अप्रैल के मध्य में आता है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है, मौसम सुहावना हो जाता है, पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं, आम के पेड़ बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के पीले फूलों से भरे दिखाई देते हैं I तितली, भौंरे बागों में मंडराने लगते है। कोयल की कू कू की आवाज सुनाई देने लगती है। इसके अलावा, वसंत पंचमी और होली के त्यौहार भी इस मौसम में मनाये जाते हैं। वसंत पंचमी जो पूरी तरह से माँ सरस्वती को समर्पित होता है, जबकि होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। यह दोनों पर्व को लोग बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं।
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वसंत ऋतु पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
भारत में 6 ऋतुएँ होती हैं- वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर और हेमंत। इनमें से सबसे श्रेष्ठ, सुन्दर और आकर्षक ऋतु है- वसंत ऋतु । इस ऋतु का आरंभ माघ महीने की शुक्ल पंचमी से होता है। इस ऋतु के आने पर पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है। इस मौसम में हवा में एक अलग ही ताजगी आ जाती है। खेतों में लहलहाती फसल और बगीचों में फूलों की सुगंध, वातावरण को खुशनुमा बना देती है। इस ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति में कई बदलाव होते है। पतझड़ के कारण झड़ चुके वृक्षों पर नव-पल्लव अंकुरित होने लगते है और कली खिलकर पुष्प बन जाती है। मैदानों में हरी-हरी घास उग आती है। वृक्षों पर पक्षी घोंसला बनाते हैं और सुबह सवेरे उनकी चहचहाहट पूरे वातावरण में गुंजायमान रहती है। पूरी धरती दुल्हन की तरह श्रृंगार कर लेती है। सरसों के खेत सोने की तरह चमकने लगते हैं और किसान फसलों को काटने की तैयारी में जुट जाते है। बसंत पंचमी का त्योहार भी इसी ऋतु में ही मनाया जाता हैं। इस दिन बच्चे माँ सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी आराधना करते हैं और सरस्वती वंदना गाकर उन्हें मनाते हैं। बहुत से लोग बसंत पंचमी के दिन पतंग भी उड़ाते हैं। बसंत पंचमी हिंदू धर्म के लोगों का मौसमी त्योहार है, जो वसंत ऋतु के आगमन को दर्शाता है। वसंत का मौसम सर्दियों के जाने की और गर्मियों के आने की आहट देता है। तभी तो वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है।
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वसंत ऋतु पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
वसंत ऋतु भारत की छः: मुख्य ऋतुओं में से एक है। यह आमतौर पर फरवरी के अंत या मार्च की शुरुआत में शुरू होता है और मई तक चलता है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम मास है और चैत्र पहला। इस प्रकार हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत में ही होता है। इस ऋतु के आने पर आसमान साफ और मौसम सुहावना हो जाता है। सर्दी की सर्द हवाएँ धीरे-धीरे सुखद गर्मी का मार्ग प्रशस्त करती हैं। पक्षियों की चहचहाहट पूरी हवा में गूंजने लगती है। प्रकृति भी अपनी नींद से जागती है और पेड़-पौधे पर नए पत्ते और फूल उगने लगते हैं। जीवंत और रंग-बिरंगे फूल खिलकर वातावरण को महकाते है।
वसंत ऋतु के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक बसंत पंचमी का त्योहार है, जो ज्ञान, कला और संगीत की देवी, सरस्वती माता के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन, लोग पीले रंग की पोशाक पहनते हैं, क्योंकि यह सरसों के खेतों के खिलने और वसंत के आगमन का प्रतीक है। छात्र आशीर्वाद के लिए सरस्वती से प्रार्थना करते हैं और उनकी वेदी पर अपने संगीत वाद्ययंत्र, किताबें और कलम चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनका आशीर्वाद लेने से व्यक्ति के ज्ञान और रचनात्मक क्षमताओं में वृद्धि होती है। उत्सवों के अतिरिक्त, वसंत ऋतु का भारत के कृषि क्षेत्र में बहुत महत्व है। किसान इस मौसम के दौरान अपनी फसलें बोना शुरू कर देते हैं, क्योंकि अनुकूल मौसम की स्थिति विभिन्न प्रकार की फसलों के विकास को बढ़ावा देती है। खेत हरी-भरी हरियाली से जीवंत हो उठते हैं । इसके अलावा, वसंत ऋतु का आगमन लोगों के जीवन में ताजगी और पुनर्जीवन की भावना भी लाता है। ठंड और निराशाजनक सर्दियों को सहन करने के बाद, वसंत की गर्मी और सुंदरता आत्माओं को ऊपर उठाती है और आशावाद की भावना को प्रेरित करती है। लोग सुहावने मौसम का अधिकतम लाभ उठाने और प्रकृति की सुंदरता में डूबने के लिए पिकनिक, क्रिकेट मैच और प्रकृति की सैर जैसी बाहरी गतिविधियों की ओर रुख करते हैं। Top
Hindi Essay Writing Topic – बसंत ऋतु (Basant Ritu)
- बसंत ऋतु का महत्त्व
- बसंत ऋतु की विशेषताएं
- बसंत पंचमी
- बसंत पंचमी का महत्त्व
- पौराणिक महत्त्व
- साहित्य में बसंत
मौसम को छह ऋतुओं में विभाजित किया जाता हैं – ग्रीष्म ऋतु, शीत ऋतु, वर्षा ऋतु, बसंत ऋतु, शरद ऋतु, शिशिर ऋतु |
इन सबमें बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है | सभी ऋतुओं में यह सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं | इस ऋतु के आते ही धरती अपना श्रंगार करती है और हरियाली की चादर ओढ़ लेती है | पूरी धरती हरी-भरी हो जाती है | इस मौसम में हवा में एक अलग ही ताजगी आ जाती है | खेतों में लहलहाती फसल और बगीचों में फूलों की सुगंध, वातावरण को खुशनुमा बना देती है | इस ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति में कई बदलाव होते है | पतझड़ के कारण झड़ चुके पेड़ों में नई कोपले आ जाती हैं और फूल आने लगते है | मैदानों में हरी-हरी घास उग आती है | वृक्षों पर पक्षी घोंसला बनाते हैं और सुबह सवेरे उनकी चहचहाहट पुरे वातावरण में गुंजायमान रहती है | पूरी धरती दुल्हन की तरह श्रंगार कर लेती है | सरसों के खेत सोने की तरह चमकने लगते हैं, इसी मौसम में किसान फसल काटने की तैयारी में जुट जाते है |
भारत में बसंत ऋतु का आगमन प्रायः मार्च महीने से हो जाता हैं और मई के अंत तक रहता है |
बसंत ऋतु का महत्त्व
बसंत का अपना महत्त्व है | जिस प्रकार हम पुराने वस्त्र उतारकर नए वस्त्र धारण करते हैं, ठीक उसी प्रकार धरती बसंत ऋतु में अपना श्रंगार करती है | इसी मौसम में पेड़ो पर फल लगते हैं, नए फूल आते हैं | जिन पर भवरे, मधुमक्खियाँ, तितलियाँ बैठकर रस का पान करते हैं |
किसानो के लिए इस ऋतु का अपना महत्त्व है | इस मौसम के आने तक फसल पककर तैयार हो जाती है और कटाई की जाती है | जिससे किसान का पेट भरता है |
बसंत ऋतु हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होती है | इस समय शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है |
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बसंत ऋतु की विशेषताएं
नीचे हमने बसंत ऋतू की कुछ विशेषतायें संक्षिप्त में लिखी हैं –
- इस मौसम में ना तो ज्यादा ठंडी रहती हैं ना तो ज्यादा गरमी | दिन सुहावने होते हैं |
- यह ऋतु सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं |
- इस मौसम में शरीर और मन दोनों में नई चेतना का संचार होता हैं |
- वातावरण शुद्ध हो जाता हैं |
- तापमान संतुलित रहता हैं |
- इस मौसम में मानव, पशु पक्षी पेड़ पौधे सभी नव ऊर्जा से भर जाते हैं |
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बसंत पंचमी
बसंत ऋतु के आगमन पर ही बसंत पंचमी मनाई जाती हैं | पौराणिक मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था इसीलिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है | माँ सरस्वती को विद्या एवं बुध्दि की देवी माना जाता है | बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती से विद्या, बुध्दि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगते है | इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनकर पीले फूलों से माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते है |
माँ सरस्वती को भागिश्वरी, भगवती, शारदा, वीनावादिनी, वाग्देवी के नाम से भी पूजा जाता है |
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बसंत पंचमी का महत्त्व
बसंत पंचमी का दिन बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के आरम्भ के लिए बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है | माना जाता है कि इस दिन से शिक्षा प्रारंभ होने से बच्चे ज्ञानवान बनते हैं और बुध्दि तीव्र होती है | बच्चों के अन्नप्राशन के लिए भी यह दिन बहुत शुभ होता है | गृह प्रवेश और नए कार्य भी इसी दिन से शुरू किये जाते है |
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पौराणिक महत्त्व
पौराणिक कथा के अनुसार जब स्रष्टि की रचना की तब उस समय वातावरण में नीरसता, उदासी थी | ऐसा लग रहा था मानो किसी की वाणी नहीं हैं, सभी मूक हिं | भगवन विष्णु को यह देखकर अच्छा नहीं लगा, फिर उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़का, जल कणों के छिडकते ही पेड़ो से एक शक्ति उत्पन्न हुई, जो अपने दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी | साथ ही एस देवी के हाथों में पुस्तक और मोती की माला थी | इस देवी ने ही समस्त प्राणियों को वाणी प्रदान की | जिसके बाद से ही इन्हें सरस्वती कहा गया | यह देवी विद्या और बुध्दि की अधिष्ठात्री हैं, इसलिए इन्हें विद्यादायिनी भी कहा जाता हैं |
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साहित्य में बसंत
जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में योवन आता है उसी प्रकार बसंत, प्रकृति का यौवन हैं | इसलिए यह मौसम हमेशा से काव्य प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा हैं और हिंदी भाषा के कई सुकुमार कवियों ने बसंत ऋतु पर कविताएँ लिखी है | इन कविताओ के माध्यम से कवि-लेखकों ने ना केवल प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया हैं बल्कि देश भक्ति की भावना का प्रचार प्रसार भी किया हैं | हिंदी भाषा की महान कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना भी कुछ इस प्रकार हैं –
आ रही हिमालय से पुकार
है उदधि गरजता बार बार
प्राची पश्चिम भू नभ अपार
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगंत
वीरों का कैसा हो बसंत
फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पंहुचा अनंग
वधु वसुधा पुलकित अंग अंग
है वीर देश में किन्तु कान्त
वीरो का कैसा हो बसंत
भर रही कोकिला इधर तान
मारू बाजे पर उधर गान
रंग और है रण का विधान
मिलने आये हैं आदि अंत
वीरों का कैसा हो बसंत
इस कविता के माध्यम से सुभद्रा कुमारी चौहान ने ना केवल प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया है बल्कि हमारे देश के वीर जवानों की व्यथा का भी मार्मिक चित्रण किया है जो अपनी जान की परवाह किये बिना सीमा पर पहरा देते हैं और देश की रक्षा करते हैं |
इसी प्रकार प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नंदन पन्त ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास चिदंबरा से बसंत ऋतु पर एक सुन्दर कविता लिखी है –
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फिर बसंत की आत्मा आई,
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण
अभिवादन करता भू का मन !
दीप्त दिशाओं के वातायन,
प्रीति साँस-सा मलय समीरण,
चंचल नील, नवल भू यौवन,
फिर बसंत की आत्मा आई,
आम्र मौर में गूँथ स्वर्ण कण,
किंशु, को कर ज्वाल वसन तन !
चंचल पग दीप-शिखा से धर
गृह, मग, वन में आया बसंत !
सुलगा फाल्गुन का सूनापन
सौन्दर्य शिखाओं में अनन्त !
इनके अलावा अनेकों कविओं ने बसंत ऋतु पर मनोभावन कविताएं लिखी हैं।
देखो देखो बसंत ऋतु आई चारों तरफ हरियाली छाई।
रंग बिरंगे फूल खिलाए
खेतों में सरसों लहराए।
फूलों पर भंवरे मंडराएं
मस्ती से तितली भी नाचे भी पीले वस्त्र पहन के बच्चे
नाचे गाए खुशी मनाएं।
अलसी की शोभा निराली कोयल कूके डाली डाली
कैसी कैसी मस्ती है छाई
देखो देखो बसंत ऋतु आई।
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Danh mục: शिक्षा