नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में एक महिला को गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया है, क्योंकि उसने कहा था कि उसने अपनी मर्जी से ससुराल छोड़ा था.
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न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की एकल-न्यायाधीश की पीठ द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है: “सीआरपीसी की धारा 125 (4) के प्रावधान के तहत यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि कोई पत्नी अपने पति के साथ रहने से इंकार करती है तो उसे अपने पति से भरण-पोषण लेने का कोई अधिकार नहीं होगा.”
Bạn đang xem: ‘खुद छोड़ा ससुराल’- पति से अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं देने का इलाहाबाद HC का आदेश
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Crpc) की धारा 125(4) कहती है कि “कोई भी पत्नी इस धारा के तहत अपने पति से भत्ता प्राप्त करने की हकदार नहीं होगी यदि वह बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति के साथ रहने से इंकार करती है, या अगर वे आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं.”
हाईकोर्ट पिछले साल अगस्त में मथुरा की एक फैमिली कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने के लिए उनके पति द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसे जीवन यापन के लिए रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था. फैमिली कोर्ट ने उसे पत्नी को 10,000 रुपए प्रति महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट में पति की ओर से पक्ष अधिवक्ता अभिनव गौर ले रहे थे.
1 जून को पारित उच्च न्यायालय के आदेश में, न्यायाधीश ने कहा कि पत्नी ने दिसंबर 2017 में ससुराल छोड़ दिया था. उन्होंने तब कहा, “चूंकि वह अपनी मर्जी से गई थी, इसलिए वह धारा 125 (4) Cr.P.C के अनुसार रखरखाव का लाभ पाने का हकदार नहीं है.”
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हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह आदेश “अवैधता और विकृति से ग्रस्त है”.
अपनी ओर से, पत्नी ने दावा किया था कि उसने अपने वैवाहिक घर को अपनी मर्जी से नहीं छोड़ा था और उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे “ताना मारा जा रहा था और अधिक दहेज लाने के लिए कहा जा रहा था”.
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पत्नी ने लगाया दहेज प्रताड़ना का आरोप
उच्च न्यायालय में दायर याचिका के अनुसार कपल दिसंबर 2015 में शादी के बंधन में बंधे थे. याचिका में कहा गया है कि पत्नी ने दिसंबर 2017 में एक मेडिकल टेस्ट भी करवाया था जिसके कारण वह गर्भधारण नहीं कर सकी. दिप्रिंट ने याचिका की कॉपी देखी है.
याचिका के अनुसार, पति ने उसी महीने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें महिला और उसके परिवार पर उसके और उसके परिवार के सदस्यों के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया था. इसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उन्होंने आखिरकार जनवरी 2018 में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की.
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उसी साल फरवरी में, पत्नी ने पति और उसके रिश्तेदारों पर भारतीय दंड संहिता के तहत क्रूरता (धारा 498A) स्वेच्छा से चोट पहुंचाना (323), आपराधिक धमकी (506), गर्भपात महिला की सहमति के बिना कराने (313) और अप्राकृतिक अपराध (377), दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के साथ विभिन्न अपराधों का आरोप लगाते हुए एक क्रॉस-शिकायत दर्ज की थी.
आदेश के अनुसार, पत्नी के वकील ने तर्क दिया कि वह इसलिए चली गई क्योंकि उससे दहेज मांगा जा रहा था. उन्होंने कहा कि “कोई भी पत्नी बिना किसी तुक या कारण के पति का घर क्यों छोड़ेगी”. साथ ही यह भी कहा गया है कि वह अभी भी अपने ससुराल वापस जाने के लिए तैयार है.
(संपादन: ऋषभ राज)
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Danh mục: शिक्षा
This post was last modified on November 20, 2024 3:28 am