रूपक अलंकार हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण अलंकार है, जो कविता, गीत और उपन्यासों में उपमान और उपमेय के मध्य रूपक संयोजन के माध्यम से तत्वों की उचितता, विविधता और सौंदर्य को प्रकट करता है। यह अलंकार कविता में व्यंग्यपूर्ण रूप से उपमान को प्रस्तुत करने के लिए प्रयुक्त होता है। इस अलंकार में एक तत्व को दूसरे तत्व से तुलना करके या उपमानार्थक शब्दों का प्रयोग करके दो विभिन्न प्रकार के तत्वों के बीच एक सामान्यता या सादृश्य का सुझाव दिया जाता है। इससे पाठकों को अधिक सुस्पष्टता और साहसी रूप से बोलने वाले की भावनाओं का समझने में मदद मिलती है। इस रूपक अलंकार और रूपक अलंकार के 10 उदाहरण (Rupak Alankar) ब्लॉग में, हम रूपक अलंकार के 10 उदाहरण को समझने का प्रयास करेंगे।
रूपक अलंकार की परिभाषा
जहां उपमेय और उपमान को भिन्न न मानकर एक समान बताया जाता है, वहां हम उसे ‘रूपक अलंकार’ कहते हैं। इसमें उपमेय में उपमान का आरोप किया जाता है। रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है।
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उपमेय: वह वस्तु जिसे वर्णन किया जाता है।
उपमान: वह संकेतिक वस्तु जिससे उपमेय का सम्बंध बनाया जाता है।
रूपक अलंकार का उदाहरण
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रवि की ताक़त दरिया के समान है।
यदि किसी व्यक्ति की ताक़त को दरिया के समान कहा जाए, तो यह एक रूपक अलंकार होता है। यहां, “ताक़त” (उपमेय) और “दरिया” (उपमान) दो विभिन्न तत्व हैं, लेकिन उनके बीच उनके सादृश्य को स्पष्ट करने के लिए रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है। इसलिए, इस वाक्य में रवि की ताक़त (“रवि की ताक़त”) को एक दरिया के विशालता (“दरिया”) के समान माना जा रहा है। इससे संकेतित होता है कि रवि की ताक़त एक विशाल और असीमित है, बिल्कुल दरिया के समान, जिससे रवि की शक्ति को अत्यधिक या अतीत्यंत बड़ा या अविस्तारित माना जा रहा है।
रूपक अलंकार के उदाहरण
अलंकार किसे कहते है
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
संस्कृत में गिनती
निष्कर्ष
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This post was last modified on November 21, 2024 8:08 am