इस लेख में, हम दशहरे की पूरी जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। या यदि आप या आपका बच्चा या कोई भी व्यक्ति 15 Lines on Dussehra in Hindi की तलाश में है, तो आप यहाँ सर्वोत्तम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- अनियमित पीरियड्स
- ढाई साल के बच्चे की गजब की मेमोरी! 195 देशों के झंडे फिंगर टिप पर हैं याद
- Treasury Reporting Rates of Exchange
- Belated Return: Section 139(4), Penalty, How to File Income Tax Return After Due Date?
- GK in Hindi: 300+ GK Questions with Answers – भारतीय बजट, भूगोल, राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, खेलकूद, पुरस्कार से संबंधित सामान्य ज्ञान प्रश्न
भारत में इन दिनों त्यौहारों का सीजन चल रहा है। नवरात्रों के साथ ही दशहरे का सबको बेसब्री से इंतजार होता है। रावण-वध और दुर्गा-पूजन के साथ विजयदशमी की चकाचौंध हर जगह होगी। दशहरे का त्यौहार जहां बच्चों के मन में मेले के रूप में आता है तो बड़ों को रामलीला की याद और स्त्रियों के लिए पावन नवरात्रों के रूप में यादों को जगाता है।
Bạn đang xem: 15 Lines on Dussehra in Hindi | बुराई पर अच्छाई का प्रतीक दशहरा | Dussehra Kyu Manaya Jata Hai
दशहरा क्यों मनाया जाता है?
Dussehra Kyu Manaya Jata Hai: यह त्यौहार प्रतीक है कि असत्य और पाप चाहे कितने भी बड़े हों, लेकिन अंत में जीत हमेशा सत्य की ही होती है। इस संसार में कहीं भी असत्य और पाप का साम्राज्य ज्यादा नही टिकता। यही है दशहरा त्यौहार की शिक्षा ! अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरे का आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से जाना जाता है।
इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। दशहरा दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।
Xem thêm : The Liver and Its Functions
दशहरे का सांस्कृतिक पहलू भी है। यह एक पर्व एक ही दिन अलग-अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न रूपों में मनाया जाता है लेकिन फिर भी एकता देखने योग्य होती है। इस साल भी हमें आशा है कि दशहरे का त्यौहार आपके जीवन से बुराइयों का अंत करेगा और समाज में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करेगा।
दशहरे के दिन हम तीन पुतलों को जलाकर बरसों से चली आ रही परपंरा को तो निभा देते हैं लेकिन हम अपने मन से झूठ, कपट और छल को नहीं निकाल पाते। हमें दशहरे के असली संदेश को अपने जीवन में भी अमल में लाना होगा, तभी यह त्यौहार सार्थक बन पाएगा।
आदर्श-पुरुष श्रीराम चंूकि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का चरित्र एक आदर्श पुरुष का चरित्र है। इसलिए सभी इस चरित्र और रामायण के अन्य पात्रों से शिक्षा लें, इसीलिए नवरात्रों में जगह जगह रामलीलाओं का मंचन किया जाता है। राजा दशरथ को एक आदर्श पिता के रूप में, भगवान राम को मर्यादा-पुरुषोत्तम व रघुकुल रीत रूपी वचनों का पालन करने के रूप में, भाई लक्ष्मण को बडेÞ भाई की भक्ति के रूप में, भाई भरत को बडेÞ भाई के प्रति समर्पण के रूप में, कौशल्या को आदर्श मां के रूप में, हमेशा याद किया जाता है।
वहीं हनुमान जी की राम भक्ति, विभीषण की सन्मार्ग शक्ति, जटायु की पराक्रम सेवा और सुग्रीव की राम सहायता हमेशा अमर रहेगी। चारों वेद और सभी 6 शास्त्रों को कंठस्थ कर लेने वाले लंकापति राजा रावण को उसके पुतले के प्रतीक में इस बार फिर जलाया जाएगा। ‘यह रावण सदियों से जलता आ रहा है। परन्तु फिर भी रावण हर साल जलने के लिए फिर सामने आ जाता है ! दरअसल, जितने रावण हम जलाते हैं उससे ज्यादा पैदा हो जाते हैं।’
पूजा सार्थक हो जाएगी
रामलीला मंचन के बाद दशहरे पर भले ही हम हर साल रावण जलाकर बुराई का अन्त करने की पहल करते हों, परन्तु यथार्थ में रावण का अन्त पुतलों को जलाने से नहीं होता। असली रावण तो हम सबके अन्दर विकारों के रूप में विराजमान है। काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार रूपी विकारों को जलाकर हम पावन बन जाएं तो भगवान राम की पूजा सार्थक हो जाएगी और रावण रूपी विकारों का भी अन्त हो जाएगा।
Xem thêm : 1 बीघा में कितने स्क्वायर फिट होते हैं?
इतना ही नहीं, रावण रूप में जो देश के गद्दार हैं, जो देश की शान्ति और इन्सानियत का हरण करने वाले रावण रूप में जो व्याभिचारी हैं, रावण रूप में जो भ्रष्टाचारी हैं, रावण रूप में जो हिंसावादी हैं, रावण रूप में जो घोटालेबाज हैं, रावण रूप में जो साम्प्रदायिकता का जहर समाज में घोल रहे हैं, रावण रूप में जो विकास के दुश्मन हैं, रावण रूप में जो अमानवतावादी हैं, उनका अन्त करने से ही रामराज्य की परिकल्पना साकार हो सकती है।
फिर चाहे कितने ही रावण क्यों न जला लें जब तक घर-घर, गली-गली, गांव-गांव, शहर-शहर बैठे रावणों का अन्त नहीं होगा, तब तक विजय दशमी के पर्व को सार्थक नहीं माना जा सकता। तो आइए आज ही विजय दशमी पर्व पर यानि दशहरे पर भगवान राम की शपथ लें कि हम भगवान राम को आत्मसात करेंगे और भगवान राम के आदर्शों पर चलकर सारे विकारों को त्यागकर उस रावण का जगह-जगह से अन्त करेंगे जो हमें राम से दूर कर रहा है। तभी रामलीला और रामायण की पवित्रता और उसके प्रति श्रद्धा कायम रह सकती है ।
यह त्यौहार हमें इस बात से भी अवगत कराता है कि पाप व अन्याय चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, विजय हमेशा सच्चाई की ही होती है। सत्य का पलड़ा हमेशा ही भारी रहा है। सत्य में ऐसा बल है, जो रावण जैसे अत्याचारी व अहंकारी मनुष्यों को जलाकर राख कर देता है, इसलिए हमें पाप व अन्याय से आतंकित नहीं होना चाहिए। हमें इस त्यौहार के वास्तविक अर्थ को ग्रहण करना चाहिए।
इस पर्व की सार्थकता रावण जलाने में नहीं, बल्कि अपने अंदर की आसुरी प्रवृति को जलाने में है।
सच्ची शिक्षा हिंदी मैगज़ीन से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook, Twitter, LinkedIn और Instagram, YouTube पर फॉलो करें।
Nguồn: https://nanocms.in
Danh mục: शिक्षा
This post was last modified on November 21, 2024 6:28 am