मध्य प्रदेश के आस- पास घूमने लायक जगहें?

मध्य प्रदेश के आस- पास घूमने लायक जगहें?

मध्य प्रदेश के आस- पास घूमने लायक जगहें?

20 तीर्थ स्थलों के नाम

मध्य प्रदेश में तथा मध्य प्रदेश के आस- पास घूमने लायक कई पर्यटन स्थल हैं जो दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करते हैं। इनमें बहुत सारे नेशनल पार्क भी सम्मलित हैं यहां पर विभिन्न प्रकार के जीव जन्तु भी पाये जाते हैं, मध्य प्रदेश में अनेक तीर्थ स्थल भी हैं जहां आप दर्शन कर सकते हैं और घूम सकते हैं। मध्य प्रदेश को भारत का हृदय भी कहा जाता है।

1. ग्वालियर फोर्ट मध्य प्रदेश

ग्वालियर मध्य प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है जिसकी स्थापना राजा सूरजसेन ने की थी। ग्वालियर अपने किले, स्मारकों, महलों और मंदिरों के लिए जाना जाता है। यह शहर चारों तरफ से खूबसूरत पहाड़ियों और हरियाली से घिरा हुआ है जो इसके गौरवशाली अतीत के बारे में बताता है। ग्वालियर का किला शहर का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। जय विलास महल और सूर्य मंदिर ग्वालियर के कुछ ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिन्हें देखने के बाद आप कभी नहीं भूल सकते। प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार तानसेन की समाधि भी यहाँ एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहां हर साल नवंबर,दिसंबर के महीने में शहर में चार दिवसीय तानसेन संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है।ग्वालियर का किला एक विशाल पहाड़ की चोटी पर बना एक मजबूत किला है। यह लगभग 3 किलोमीटर तक फैला हुआ है। इसकी संरचना ग्वालियर की शान है। ग्वालियर पहुंचते ही आप इस किले की खूबसूरती किसी भी नुक्कड़ से देख सकते हैं। इस किले के अंदर मान मंदिर, गुजरी महल, पानी की टंकियां आदि मौजूद हैं। अगर आप कभी ग्वालियर घूमने का प्लान करें तो इस किले को देखना न भूलें। इसे भारत का जिब्राल्टर भी कहा जाता है।

2. कान्हा नेशनल पार्क

कान्हा नेशनल पार्क मंडला जिले में स्थित है,कान्हा नेशनल पार्क राजसी बाघ के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का घर है। पार्क में 300 से अधिक प्रजातियों के साथ कई प्रकार के वन्यजीव और कई पक्षी जीवन हैं। इस उद्यान की सबसे खास बात यह है कि यह मध्य प्रदेश में स्थित मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है और इस उद्यान का नाम एशिया के सर्वश्रेष्ठ उद्यानों की सूची में शामिल है। पार्क बड़े स्तनधारियों की 22 प्रजातियों का घर है और रॉयल बंगाल टाइगर यहाँ का एक प्रमुख आकर्षण है। तो आप मध्य प्रदेश घूमने आयें तो-कान्हा नेशनल पार्क अवश्य घूमें।

3. भेड़ाघाट पर्यटन स्थल

भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। भेड़ाघाट धुंआदार झरने के लिए जाना जाता है, जो पानी का एक विशाल झरना है जो 98 फीट की ऊंचाई से गिरता है। भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक जबलपुर के नजदीक है ,भेड़ाघाट अपनी संगमरमर की चट्टानों और झरनों के लिए प्रसिद्ध है। संगमरमर की चट्टानें लगभग 100 फीट ऊंची है और नर्मदा नदी के किनारे लगभग 3 किमी तक फैली हुई है। आप नदी के किनारे नाव की सवारी कर सकते हैं और संगमरमर की चट्टानों के शानदार दृश्य का आनंद ले सकते हैं।भेड़ाघाट में धुआंधार जलप्रपात एक अन्य लोकप्रिय आकर्षण है। जलप्रपात के उपरी छोर तक पहुँचने के लिए आप केबल कार की सवारी कर सकते हैं और ऊपर से लुभावने दृश्य का आनंद ले सकते हैं। केबल कार की सवारी की कीमत लगभग 90 रु प्रति व्यक्ति है। इसके साथ ही अगर आप मध्य प्रदेश में और भी कई झरनों और संगमरमर की चट्टानों का मजा लेना चाहते हैं तो जबलपुर के पास भेड़ाघाट एक अच्छा विकल्प है भेड़ाघाट नर्मदा नदी के तट पर स्थित अपनी संगमरमरी सुंदरता और शानदार झरनों के लिए ही यह पर्यटकों के बीच पसंद किया जाने वाला सबसे खास स्थान है। माना जाता है जब सूरज की किरणें सफेद संगमरमर की इन चट्टानों पर पड़ती हैं और पानी की परछाई पड़ती है तो यह स्थान और भी खूबसूरत लगता है। फिर काले और गहरे ज्वालामुखीय समुद्रों के साथ इन सफेद चट्टानों को देखना एक सुखद अनुभव है, इतना ही नहीं चांदनी रात में यह और भी जादुई प्रभाव पैदा करता है। नर्मदा नदी इन संगमरमर की चट्टानों के माध्यम से धीरे-धीरे बहती है और थोड़ी दूरी के बाद एक झरने में मिलती है जिसे धुआंधार कहा जाता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए नाव की सवारी भी उपलब्ध है। चांदनी रात में संगमरमरी चट्टान के पहाड़ों के बीच नाव की सवारी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यदि आप मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और झरनों का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको छुट्टियों में भेड़ाघाट की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। यहां कई दुकानें हैं जहां आपको संगमरमर के हस्तशिल्प और धार्मिक चिह्न मिल जाएंगे। हर साल कार्तिक के महीने में भेड़ाघाट में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में आपको भारतीय मेलों का रंग और कला देखने को मिलेगा।

4. खजुराहो

खजुराहो मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत छोटा शहर है, जो मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला और संस्कृति का अद्भुत उदाहरण है। मध्य प्रदेश में स्थित विश्व प्रसिद्ध खजुराहो अपने मंदिरों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने यहां के मंदिरों को भी वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया है। खजुराहो मध्य प्रदेश के अति प्राचीन पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां की बारीक नक्काशी और बेहतरीन मूर्तियां बेहद खूबसूरत हैं। मध्य प्रदेश में स्थित कामसूत्र की रहस्यमय भूमि भी अनादि काल से प्रसिद्ध है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।यहां आपको दो प्राचीन मंदिर, लक्ष्मण मंदिर और चित्रगुप्त मंदिर भी देखने को मिलेंगे। यहां का नजारा बेहद मनमोहक होता है। इसलिए आप जब भी मध्य प्रदेश जाएं तो खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिर और रहस्यमयी भूमि को देखकर जरूर आएं। साथ ही साथ खजुराहो के इन जगहों पर भी अवश्य घूमें, विश्वनाथ मन्दिर, कंदरिया महादेव मन्दिर, वराह मन्दिर आदि।

5. पंचमढ़ी

पचमढ़ी मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है। मध्य प्रदेश का यह एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी सतपुड़ा की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच स्थित होने के कारण सतपुड़ा की रानी के रूप में विश्व प्रसिद्ध है। पचमढ़ी के घने जंगलों, बड़े झरनों, शुद्ध स्वच्छ पानी के तालाबों, औपनिवेशिक शैली की वास्तुकला में बने आकर्षक चर्चों को देखने के लिए दुनिया भर से लोग यहां आते हैं।पचमढ़ी में पांडवों के निवास और गुफाओं में प्राचीन शैल चित्रों की उपस्थिति के कारण इन गुफाओं का पौराणिक और पुरातात्विक महत्व है। भगवान शिव के जटा शंकर, गुप्त महादेव, चौरागढ़ और महादेव गुफा में रहने के कारण इसे भगवान शिव का दूसरा घर भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के नवविवाहितों के लिए यह सस्ता, सुंदर और बहुत ही अच्छा हनीमून डेस्टिनेशं है। तथा घूमने के लिये भी बहुत सी जगहें हैं।

6. उदयगिरि की गुफ़ाएँ

उदयगिरी की गुफाओं के बारे में बताया जाता है कि ये 10 वीं शताब्दी में जब उदयगिरी विदिशा धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया । उदयगिरि में कुल मिला कर 20 गुफाएँ हैं।इन्ही गुफाओं को काटकर छोटे- छोटे कमरों के रूप में बनाया गया है। साथ- ही- साथ मूर्तियाँ भी बनाई गई थी। आज के समय में वहा मुर्तियाँ नही देखी जा सकती, क्योंकि ऐसा यहाँ पाये जाने वाले पत्थर के कारण होता है। यह पत्थर बहुत नरम होते है यह मौसमी प्रभावों को झेलने के लिए उपयुक्त नहीं है।इसलिए मुर्तियाँ खुद ही नष्ट हो कर विलुप्त हो गई हैं। इसके साथ ही उदयगिरि की इन गुफाओं में बेहद खुबसुरत नक्काशी की गई है चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में इन गुफाओं पर काम किया गया। ये गुफाएं विदिशा से 6 किमी दूर बेतवा और वैस नदी के बीच में स्थित है। एक एकांत स्थान पर पहाड़ी पर स्थित इन गुफाओं में कई बौद्ध अवशेष भी पाए जाते हैं इस गुफा में पाए जाने वाली अधिकांश मूर्ति भगवान शिव और उनके अवतार को समर्पित है।इस गुफा में भगवान विष्णु के लेटे हुए मुद्रा में एक प्रतिमा है, जिसे जरूर देखना चाहिए। पत्थरों को काट कर बनाई ये गुफाएं गुप्त काल के कारीगरों के कौशल और कल्पनाशीलता का जीता जागता उदाहरण है। गुफा का प्रवेश द्वार को देख कर आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। इसलिए आप मध्य प्रदेश जाएं तो उदयगिरि की गुफ़ाएं अवश्य घूमें।

7. ओरछा

ओरछा मध्य प्रदेश में बेतवा नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपने भव्य महलों और जटिल नक्काशीदार मंदिरों के लिए जाना जाता है। बुंदेला युग की याद दिलाने वाला मध्यप्रदेश पर्यटन को बढ़ावा देने वाला “ओरछा” भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इतिहास के शौकीनों के घूमने के लिए ओरछा को मध्य प्रदेश की सबसे अच्छी जगहों में से एक माना जाता है। जब भी आप ओरछा जाएंगे तो आपको यहां के विभिन्न ऐतिहासिक स्थान, मंदिर, किले और अन्य पर्यटक आकर्षण देखने को मिलेंगे, जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। मध्य प्रदेश का ओरछा एक ऐसा टूरिस्ट प्लेस है, जिसे दोस्तों के साथ टूर, फैमिली वेकेशन और यहां तक कि न्यूली मैरिड कपल्स के लिए हॉलिडे डेस्टिनेशन में से एक माना जाता है। ओरछा के महलों और मंदिरों की मध्ययुगीन वास्तुकला भी फोटोग्राफरों को अपनी तरफ आकर्षित करने का मुख्य केंद्र बनी हुई है। ओरछा का किला अपने आकर्षण के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। इसके अलावा चतुर्भुज मंदिर, राज मंदिर और लक्ष्मी मंदिर ओरछा के मुख्य आकर्षण हैं जो यहां आने वाले लोगों के लिए यात्रा को यादगार बनाते हैं।

8. सांची का स्तूप

सांची का स्तूप भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से 46 किमी. की दूरी पर उत्तर-पूर्व में स्थित है, जो रायसेन जिले के साँची नगर में बेतबा नदी के तट पर स्थित है। यह स्थल अपनी आकर्षक कला कृतियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। सांची स्तूप को यूनेस्को द्वारा 15 अक्टूबर 1982 को विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया था। सांची स्तूप की स्थापना मौर्य वंश के सम्राट अशोक के आदेश से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी।इस स्थान पर भगवान बुद्ध के अवशेष रखे हुए हैं। सांची शहर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है। जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को शांति और आनंद की अनुभूति होती है और पर्यटक इस स्थान की ओर आकर्षित होते हैं। इस स्थान पर मौजूद मूर्तियों और स्मारकों में आपको बौद्ध कला और वास्तुकला की अच्छी झलक देखने को मिलती है। ये स्थान हरे भरे बागानों से घिरा हुआ है। जो यहां आने वाले पर्यटकों को एक अलग प्रकार का आनंद एवं शांति महसूस कराता है। तो इस बार आप मध्य प्रदेश घूमने आयें तो सांची का स्तूप अवश्य घूमें।

9. इंदौर

इंदौर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। मालवा पठार पर स्थित, इस शहर का आकर्षण इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में निहित है जो सदियों से और शहरीकरण के संकेतों के साथ संरक्षित है। आधुनिकीकरण के युग में इंदौर देश के विकास में अग्रणी रहा है। देश के शैक्षिक केंद्रों में से एक, इंदौर में एक आईआईटी और एक आईआईएम दोनों हैं। इंदौर भारत का सबसे स्वच्छ शहर भी है। पिछले कुछ वर्षों में इंदौर ने खुद को राज्य में व्यापार और औद्योगिक प्रथाओं के केंद्र के रूप में स्थापित किया है। इंदौर शहर का नाम इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर पड़ा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान इंद्र ने इस भूमि पर ध्यान किया था और स्वामी इंद्रपुरी को इस मंदिर की स्थापना के लिए प्रेरित किया था। जब आप इंदौर में हों तो सर्राफा बाजार में इंदौरी पोहा जैसे कुछ स्थानीय व्यंजनों का आनंद लें। तथा यहां लाल बाग महल, राजवाड़ा, खजराणा का गणेश मन्दिर, सराफा बाजार इन सभी जगहों पर अवश्य घूमें।

भीम बेटका शैलाश्रय

भीमबेटका भारत देश के मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्व दिशा में है और सड़क मार्ग से यहां तक पहुंचना काफी आसान है। लोकल कंवेंस भी मिल जाता है। भीमबेटका भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित एक पुरापाषाणिक आवासीय पुरास्थल है। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। ये चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के प्राचीनतम चिह्न हैं।क्योंकि इस स्थान को मानव जाति के विकास के प्रारंभिक चरण का स्थान माना जाता है। यही वह स्थान है जहां से पता चला कि प्राचीन काल में मनुष्य गुफाओं में रहता था। यह गुफाएं करीब 30,000 साल पुरानी है और गुफाओं की दीवारों पर कुछ चित्र बने हुए हैं जो यह बताते हैं कि अपने पूर्वज 30,000 साल पहले समझदार हो गए थे और आने वाली पीढ़ी के लिए दीवारों पर संकेत और संदेश लिखने लगे थे। ताकि हर नई पीढ़ी विकास कर सके। मनुष्य और जानवरों में यही अंतर होता है। जानवर अपना इतिहास नहीं लिखते और उसके आधार पर भविष्य की योजना नहीं बन पाती। यह दुनिया की एकमात्र जगह है जहां पर मनुष्य प्रजाति के विकास का क्रम शुरू होता है। एक मान्यता है कि पांडव वनवास के दौरान यहां आए थे और कुछ समय तक पांडवों ने यहां निवास किया। उस दौरान भीम पहरेदारी पर बैठा करते थे। इसलिए इस स्थान का नाम भीमबैठका पुकारा जाने लगा। लोगों को सन 1957 में जाकर पता चला कि पांडवों से पहले भी यहां पर मनुष्य रहा करते थे और यह तो मनुष्यों का 30,000 साल पुराना मोहल्ला है।

मांडु मध्य प्रदेश

मांडू पश्चिमि मध्य प्रदेश के मालवा में इंदौर से लगभग 90 किमी दूर एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है। यहां पर स्थित खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारकों की वास्तुकला विभिन्न शासन काल के प्रभाव को दर्शाती है। मानसून की रिमझिम बारिश, हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता के मध्य इन इमारतों की खूबसूरती पर्यटकों को और भी आकर्षित करती है । मांडू किला विंध्य पहाड़ी से लगभग 592 मीटर ऊंचाई पर स्थित है, साथ ही यह देश का सबसे बड़ा किला भी कहा जाता है. बताया जाता है कि मांडू का यह किला करीब 82 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है, जो आकार में बिल्कुल एक जहाज की तरह लगता है।मॉनसून के दौरान मांडू Same किले में अलग ही प्रकार की खूबसूरती झलकती है। इसकी दीवारें 300 साल बाद भी जस की तस बनी हुई हैं। यहां न केवल पर्यटकों को इतिहास के बारे में जानने को मिलेगा, बल्कि यहां फैली हरियाली पर्यटकों को काफी शांति भी प्रदान करेगी. भले ही समय के साथ-साथ किले में कुछ नुकसान जरूर हुए हैं, लेकिन इसकी खूबसूरती आज भी बरकरार है. मांडू की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बने इस किले की खोज 10वीं शताब्दी में हुई थी. वहीं 15वीं शताब्दी में जब यहां मालवा का शासन शुरू हुआ तो यहां जहाज महल, हिंडोला महल और रूपमती मंडप जैसे कई महल बनवाए गए। इस किले पर अफगान शासक, मालवा, मोहम्मद शाह, मुगल और फिर मराठाओं द्वारा राज किया गया।मांडू किले में देखने लायक इमारतों में यहां की जामा मस्जिद, जहाज महल, हिंडोला महल, नीलकंठ मंदिर, रेखा कुंड, रानी रूपमती महल और होशंग शाह का मकबरा शामिल है. कहा जाता है कि यहां मौजूद होशंग शाह का मकबरा संगमरमर से बनाया गया है, जिसे देखने के लिए शाहजहां ने अपने चार कारीगर भी भेजे थे, ताकि वे ताजमहल के अंदर ऐसा ही मकबरा बना सकें. वहीं यहां मौजूद जामा मस्जिद अफगान वास्तुकला का बेहतरीन उदाहण है. मस्जिद का बड़ा आंगन और भव्य प्रवेश द्वार पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

अमरकंटक

अमरकंटक हिंदुओं का प्रसिद्ध और बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जो मध्य प्रदेश के अनूपपुर और शहडोल के तहसील पुष्पराजगढ़ में मेकल की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ शहर है. यहां सुप्रसिद्ध अमरकंटक मंदिर है तथा नर्मदा नदी और सोनभद्र नदियों का उद्गम स्थल है।यह मंदिर 1065 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. पहाड़ों और घने जंगलों मे बीच इस मंदिर की खूबसूरती अलग ही प्रतीत होती है। आप मध्य प्रदेश घूमने आयें तो अमर कंटक के प्राकृतिक नज़ारो के बीच कई दर्शनीय स्थल घूम सकते है। इनमे से कुछ ये हैं दुग्ध धारा, श्री यंत्र मन्दिर, पतालेश्वर महादेव मन्दिर, माई की बगिया, कर्ण मन्दिर आदि। दुग्ध धारा के बारे में बताया जाता है यह अमरकंटक के कपिल धारा से 1 किलोमीटर नीचे जाने पर मिलता है इसकी उचाईं लगभग 10 फुट है। यहां से गिरने वाली पानी की धारा दूध जैसी प्रतीत होती है इसलिए ही इसे दुग्ध धारा प्रपात कहते हैं। यहीं श्री यंत्र मन्दिर देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, देवी काली, भुवनेश्वरी के चेहरे की विशाल मूर्ति है इसके साथ ही यहां 64 योगिनी भी मौजूद हैं । इसके साथ ही कर्ण मन्दिर और पतालेश्वर महादेव मन्दिर के बारे में बताया जाता है कि कर्ण मन्दिर तीन गर्भ वाला मन्दिर है तथा पाताल महादेव मन्दिर जो भगवान शिव को समर्पित है। इसमें प्रवेश के लिये पांच मठ हैं। जिसका आकार पिरामिड जैसा है और यह पंचरथ नागर शैली में बना हुआ है। तो आप मध्य प्रदेश जब भी घूमने आयें तो अमरकंटक अवश्य घूमें।

पेंच राष्ट्रीय उद्यान

भारत का उन्‍नीसवां टाइगर रिजर्व पेंच राष्‍ट्रीय उद्यान मध्‍य प्रदेश में सतपुड़ा की पहाड़ी के दक्षिणी भाग में महाराष्‍ट्र के पास स्थित है। इसका नाम यहां बहती पेंच नदी के नाम पर पड़ा जो इस पार्क की जीवन रेखा है और इसे दो भागों में विभाजित करती है। अबुल फजल की प्रसिद्ध पुस्‍तक आईने अकबरी में भी इस पार्क का जिक्र मिलता है। यहां की जैव विविधता में काले बाघों और पैंथर के अलावा काले नेप्ड खरगोश, उड़ने वाली गिलहरी, सफेद आंखों वाले बाज, चितकबरे मालाबार हॉर्नबिल्स और साही इत्यादि हैं इसके अलावा यहां पेड़ पौधों की लगभग 1200 से भी अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं। आप अगर मध्य प्रदेश घूमने आयें तो मध्य प्रदेश के कुनों राष्ट्रीय उद्यान अपने बच्चों व परिवार के साथ अवश्य घूमें।

जबलपुर मध्य प्रदेश

जबलपुर शहर मध्य प्रदेश में स्थित है। यह नर्मदा नदी के उत्तर में निचली पहाड़ियों से घिरे चट्टानी बेसिन में झीलों और मंदिरों के बीच स्थित है। इस नगर में उच्च-न्यायालय भी स्थित है। जबलपुर में साक्षरता, संस्कृति, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों की लंबी परंम्परा रही है। जबलपुर कई लेखकों, प्रकाशकों ,कवियित्रियों व मुद्रकों का आवास क्षेत्र भी रहा है। पुराणों के अनुसार जबलपुर का संबंध जाबालि ऋषि से है। जिनके बारे में कहा जाता है कि वह यहीं निवास करते थे।माना जाता है 1781 के बाद ही मराठों के मुख्यालय के रूप में चुने जाने पर इस नगर की सत्ता बढ़ी, बाद में यह सागर और नर्मदा क्षेत्रों के ब्रिटिश कमीशन का मुख्यालय बन गया।जबलपुर में ऐसी कई घूमने की जगहें हैं जो पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं। जिनमें से कुछ ये जगहें हैं जैसे-मदन महल किला ,ग्वारीघाट ,चौसठ योगिनी मंदिर ,धुआंधार जलप्रपात ,संगमरमर की चट्टानें ,बैलेंसिंग रॉक ,डुमना नेचर रिजर्व पार्क ,बरगी बांध,रानी दुर्गावती संग्रहालय ,संग्राम सागर झील,नुमानताल जैन मंदिर ,गुरुद्वारा ग्वारीघाट साहिब ,पिसनहारी की मड़िया तिलवारा घाट ,भवारताल गार्डन ,श्री विष्णु वराह मंदिर कंकाली देवी मंदिर ,भेड़ाघाट ,सीवर्ल्ड वॉटर पार्क जबलपुर में ये सभी जगहें घूमने लायक हैं। आप अगर मध्य प्रदेश घूमने आ रहें हैं तो जबलपुर के इन सभी जगहों पर अवश्य घूमें ,और साथ ही नाव की भी सवारी अवश्य करें। आप यहां पर पंचवटी घाट से भेड़ाघाट तक करीब 22 किलोमीटर की बोटिंग कर सकते हैं।

भोपाल मध्य प्रदेश

भोपाल का नाम राजा भोज के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 11वीं शताब्दी में इस शहर की स्थापना की थी। राजा भोज एक शक्तिशाली राजा थे,और उन्होंने भोपाल को एक समृद्ध और विकसित शहर बनाया।भोपाल पर मुगलों, अंग्रेजों और मराठों ने भी शासन किया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी बना। भोपाल एक बहुसांस्कृतिक शहर है। यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य धर्मों के लोग रहते हैं। भोपाल की संस्कृति में इन सभी धर्मों का समावेश है। भोपाल मध्य प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी है यहां पर प्रदेश तथा देश के बहुत बड़े-बड़े संस्थान भी हैं । साथ ही भोपाल को झीलों के शहर के रूप में जाना जाता है। भोपाल में सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक, ऊपरी झील, जिसे स्थानीय रूप से ‘भोजताल’ या ‘बड़ा तालाब’ कहा जाता हैहै यह भारत की सबसे पुरानी मानव निर्मित झील है। माना जाता है कि इस झील का निर्माण राजा भोज ने करवाया था। इस झील के आसपास कमला पार्क नाम का एक बहुत बड़ा गार्डन है, जो इसकी शोभा को और बढ़ा देता है। झील और इस खूबसूरत पार्क को देखने के लिए सैलानी जरूर यहां आते हैं। इस झील में सुबह 6 बजे से रात के 7 बजे के बीच कभी भी आ सकते हैं।भोपाल में घूमने के लिये ये कुछ प्रमुख स्थान हैं जहाँ – जहाँ आप भोपाल में घूम सकते हैं। जैसे- भोज मन्दिर, बोरी वन्य जीव अभ्यारण, भारत भवन भोपाल, जामा मस्जिद भोपाल, पुरात्वत संग्रहालय, गौहर महल, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, ट्राईबल म्यूजियम आदि।

कुनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश

कुनों नेशनल पार्क मध्य प्रदेश में स्थित है। इस पार्क को 2018 में देश का नेशनल पार्क घोषित किया गया है। कुनों नेशनल पार्क की स्थापना वर्ष 1981 में की गयी थी । इस नेशनल पार्क में 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर यहां नामीबिया से लाये गए नर व मादा चीते भी छोड़े गये थे। मध्य प्रदेश में यह पार्क 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यदि आप भी कुनों नेशनल पार्क घूमने जाना चाहते हैं तो यहां पर आपको कई तरह के जानवर देखने को मिलेंगे। यहां पर आपको चीते, सियार, हिरण, नीलगाय, बड़े- बड़े सींग वाले मृग, जंगली सुअर, भेड़िया, बंदर, तेंदुआ ये सभी जानवर आपको करीब से देखने को मिलेंगे। तो अगर आप मध्य प्रदेश घूमने आ रहे हैं तो आप अपने बच्चों को इस जगह पर जरूर लाएं उन्हें यह जगह बहुत ही ज्यादा पसंद आयेगी। आये एक खास बात यह भी है कि यहीं से कुछ 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है रणथंभौर नेशनल पार्क आप खुद भी और अपने बच्चों को भी यहां पर जरूर ले जाएं यहां पर आपको बाघ, चीते, शेर ये सभी जानवर देखने को मिलेंगे।

पाताल पानी झरना मध्य प्रदेश

पातालपानी झरना भारत के मध्य प्रदेश राज्य में इंदौर जिले की महू तहसील में स्थित है। पाताल पानी झरना लगभग 300 फीट ऊंचा है और इंदौर-खंडवा ट्रेन मार्ग पर खिलती हरियाली के बीच में स्थित है, जो इसे देखने लायक भी बनाता है और इंदौर के पास सबसे प्रसिद्ध झरनों में से एक है। यह एक पिकनिक स्थल के रूप में भी लोकप्रिय है और यहां नियमित रूप से स्थानीय लोगों और पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। इस झरने और आसपास के क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता, मानसून के दौरान मनमोहक हो जाती है। हालाँकि ग्रीष्मकाल में पतझड़ लगभग सूख जाता है, मानसून इसे फिर से जीवंत कर देता है। आप जब भी मध्य प्रदेश घूमने आयें तो पाताल पानी झरना अवश्य घूमें।

सतना मध्य प्रदेश

सतना मध्य प्रदेश राज्य के रीवा, शहडोल, उमरिया, कटनी और पन्ना जिलों और उत्तर प्रदेश राज्य के बाँदा जिले से घिरा हुआ है।मध्य प्रदेश का सतना शहर अपने चूना पत्थर और डोलोमाइट भंडार के लिए लोकप्रिय है। शारदा देवी मंदिर, चित्रकूट धाम, रावतपुरा आश्रम, धवारी के साईं बाबा मंदिर और, वेंकटेश मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों का घर, सतना उन सभी के लिए एक अच्छा विकल्प है जो धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए करना चाहते हैं। माधवगढ़ किला और गिधाकूट सतना में अन्य लोकप्रिय स्थान हैं जहाँ आपको अवश्य जाना चाहिए। साथ ही आप यहां पर शारदा देवी मन्दिर और चित्रकूट धाम, रावतपुरा आश्रम इन सभी जगहों पर घूम सकते हैं।

लोटस वैली झील मध्य प्रदेश

लोटस झील मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में मौजूद है। यह इंदौर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद गुलावट गांव में स्थित है। इसलिए कई लोग लोटस वैली को गुलावट वैली या घाटी के नाम से भी जानते हैं। लोटस झील करीब 300 एकड़ में फैला हुआ है। यह एशिया की सबसे बड़ी लोटस वैली के रूप में भी फेमस है। मध्य प्रदेश के इस लोटस वैली की खूबसूरती इस कदर प्रचलित है कि यहां सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि देश के हर कोने से सैलानी घूमने के लिए पहुंचते हैं। जब 300 एकड़ में फैली लोटस झील में करोड़ों कमल के फूल खिलते हैं, तो इस दृश्य को सिर्फ और सिर्फ निहारने का ही मन करता है। कहा जाता है कि इस झील में हर साल कई किसान कमल के फूलों की खेती भी करते हैं और यहां के कमल के फूल देश के हर कोने से बेचे जाते हैं। यहां पर फ़िल्मों की भी शूटिंग होती है और साथ ही यह लोटस वैली झील प्री वेडिंग शूट के लिये भी एकदम परफेक्ट जगह मानी जाती है यहां पर लोग बहुत दूर – दूर से अपनी प्री वेडिंग शूट करवाने आते हैं। यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं लगती है। इस जगह पर आकर आपको जिस खुबसूरती और सुकून का आभास होगा वह शायद और कहीं नही होगा। तो इस बार जब आप अपनी छुट्टियों में कहीं घूमने का प्लान बनाएं तो उसमें मध्य प्रदेश के इस लोटस वैली झील को अवश्य शामिल करें और यहां पर आकर खूब इंजॉय करें।

दतिया मध्य प्रदेश

दतिया मध्य प्रदेश के झांसी से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह माँ पीताम्बरा शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध है।

पीताम्बरा शक्ति पीठ शहर के निकट स्थित है। पीताम्बरा शक्ति पीठ देश का प्रसिद्ध “शक्ति-पीठ” है। श्री गोलोकवासी स्वामीजी महाराज ने इस स्थान पर “बगला मुखी देवी” और “धूमावती माई” की स्थापना की थी। पीताम्बरा-पीठ में वनखंडेश्वर मंदिर है “महाभारतकालीन शिव मंदिर” में से एक

सोनागिरि जैनियों का एक प्रसिद्ध तीर्थ भी है, जैन लोग इन खूबसूरत मंदिरों में पूजा करने के लिए हर साल बड़ी संख्या में आते हैं। यहां एक सौ से अधिक मंदिर हैं और दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं। इन सभी के साथ सबसे प्रसिद्ध यहां पर माँ पीतांबारा का मन्दिर ही है।और सोनागिर भी यहां से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तो इसलिए आप भी इस बार मध्य प्रदेश की ट्रिप पर दतिया माँ पीतांबरा के दर्शन अवश्य करें।

चंदेरी फोर्ट

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मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक शहर चंदेरी मालवा और बुंदेलखंड की सीमा पर बसा है. इस शहर का इतिहास 11वीं सदी से जुड़ा है, जब यह मध्य भारत का एक प्रमुख व्यापार केंद्र था. चंदेरी पर गुप्त, प्रतिहार, गुलाम, तुगलक, खिलजी, अफगान, गौरी, राजपूत और सिंधिया वंश ने शासन किया है. राणा सांगा ने चंदेरी को महमूद खिलजी से जीता था. जब सभी प्रदेशों पर मुगल शासक बाबर का आधिपत्य था तो 1527 में एक राजपूत सरदार ने चंदेरी पर अपनी पताका लहराई. इसके बाद इसके शासन की बागडोर जाट पूरनमल के हाथों में गई. अंत में शेरशाह ने छल से पूरनमनल को हराकर इस किले पर कब्जा किया। यह फोर्ट अपनी खूबसुरती से भी जाना जाता है बताया जाता है यह फोर्ट बहुत सालों तक पानी में डूबा हुआ था उसके बाउजूद भी इसकी खूबसुरती टस से मस तक नहीं हुई यह आज भी वैसे की वैसी ही है। चंदेरी इतना खूबसूरत है की आज भी पर्यटक देश विदेश से अपने परिवार संग घूमने व फोर्ट को देखने आते हैं । इस फोर्ट के अंदर आपको बहुत कुछ देखने को मिल सकता है ।इस फोर्ट के अलावा आप खूनी दरवाजा, बाबर की मस्जिद, सिंगपुर महल, जागेश्वरी मंदिर, बादल महल, कटिघाटी गेट, परमेश्वर टैंक आदि कई बेहतरीन जगहों पर भी घूमने के लिए जा सकते हैं। साथ ही यहां पर 9वीं और 10वीं सदी के कई जैन मंदिर स्थित हैं । इसकी वजह से यहां जैन तीर्थयात्री बड़ी संख्या में पहुंचते हैं ।आपको बता दें कि चंदेरी में घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल के महीने को माना जाता है। चंदेरी में भुट्टे के कीस, मालपुआ, चंदेरी चाट,आदि कई स्थानीय स्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद भी चख सकते हैं|

तामिया

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तामिया मध्‍यप्रदेश का एक खूबसूरत तथा मुख्य पर्यटन स्थल है, यह प्रकृति की गोद में बसा है,तामिया को मध्‍यप्रदेश का छिपा हुआ रत्न कहा जाता है। ये जगह उन लोगों के लिए स्‍वर्ग से कम नहीं है, जो नेचर और एडवेंचर से प्‍यार करते हैं। 1,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह अनोखा हिल स्टेशन शहरी जीवन की हलचल से दूर आपको शांति और सुकून देता है। यहां चट्टानों के किनारों पर ब्रिटिश काल के कुछ घर बने हुए हैं। यहां आकर आप सतपुड़ा रेंज के घने जंगलों के बीच ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं। यहां का तामिया वॉटरफॉल देखने लायक है। इस झरने को 100 मीटर की ऊंचाई से गिरता देख मन बेहद खुश हो जाता है। अगर आप मध्यप्रदेश में छुट्टियां मनाने की सोच रहे हैं, तो तामिया जाकर आप प्रकृति से जुड़ सकते हैं। और यहां के खूबसूरत नज़ारों से रूबरू हो सकते हैं।

उज्जैन

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यह मध्यप्रदेश के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है उज्जैन. पवित्र शिप्रा नदी के तट पर बसे उज्जैन को ‘मंदिरों का शहर’ तथा “महाकाल की नगरी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहां लगभग हर गली में मंदिर ही मंदिर दिखाई पड़ते हैं। इस पवित्र शहर की सबसे खास बात ये है कि यहां स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यही वो शहर है, जहां हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें दुनियाभर से लाखों-करोड़ों लोग आते हैं। इस शहर की खूबसूरती का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रसिद्ध कवि कालिदास ने कहा है कि ‘पृथ्वी को स्वर्ग बनाने के लिए यह शहर स्वर्ग से उतर आया है’ इसलिए आप अपनी मध्य प्रदेश की यात्रा में उज्जैन महाकाल की नगरी को अवश्य जोड़े और जब मध्य प्रदेश जायें तो सबसे पहले महाकाल के दर्शन अवश्य करें उसके बाद आप उज्जैन में और बहुत सी जगहों पर घूम सकते हैं व तमाम मंदिरों के दर्शन भी कर सकते हैं। इनमें से कुछ जगहें ये हैं जैसे- महाकालेश्वर मन्दिर, चिंतामण गणेश मन्दिर, गोपाल मन्दिर, रामघाट, हरसिद्धी मन्दिर, गोमती कुंड आदि।

ओंकारेश्वर

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ओंकारेश्वर को मध्य प्रदेश के सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक माना जाता है। इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, इसलिए इस पवित्र शहर के महत्व का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।आध्यात्मिकता से सराबोर ओंकारेश्वर ,शहर की व्यस्त और भीड़-भाड़ से दूर एक आदर्श स्थान माना जाता है, जहाँ आपको शांति के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। ओंकारेश्वर के कई मंदिरों में आपको आध्यात्मिकता से खुद को और अधिक जोड़ने के लिए आप यहां के आस पास स्थित मंदिरों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं जैसे- ओमकार मांधांता मंदिर, ऋण मुक्तेश्वर मन्दिर, सिद्धनाथ मन्दिर, काजल रानी गुफा आदि।

शिवपुरी

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शिवपुरी मध्य प्रदेश का एक शानदार शहर है। शांत झीलों, आकर्षक झरनों और औपनिवेशिक संरचनाओं से सुसज्जित, शिवपुरी रोजमर्रा की दिनचर्या से दूर जाने और थोड़ा सुकून पाने के लिए यह एकदम सही जगह है। मध्य प्रदेश के इस शहर में जाने की योजना बनाकर अपनी आत्मा और शरीर को तरोताजा करें और भूरा खो और टुंडा बरखा खो जैसे मनमोहक झरनों को देखने के लिए तैयार हो जाएँ। सूर्योदय और शांति का आनंद लेने के लिए जाधव सागर झील जैसी प्रसिद्ध झीलों पर जाएँ। और माधव पैलेस को भी देखें , निस्संदेह यह मध्य प्रदेश के सबसे विस्मयकारी पर्यटन स्थलों में से एक है। इसलिए जब आप मध्य प्रदेश घूमने जा रहें हो तो शिवपुरी घूमने व देखने अवश्य जाएं।

मध्य प्रदेश जायें तो क्या- क्या खाएं

मध्य प्रदेश में आप अगर घूमने जा रहें हैं तो यहां पर खाने पीने की चीजों से निश्चिंत रहें क्योंकि यहां पर आपको शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन मिल जायेंगे। आप यहां पर मध्य प्रदेश के मांसाहारी में यहां के फ़ेमस कबाब, बिरयानी, कोरमा, आचारी गोश्त, रसीले कबाब, पुलावऔर शाकाहारी में यहां का फ़ेमस इंदौरी पोहा जरुरु खाएं,साथ ही कोदो और कुटकी खीर, पोहा जलेबी, खोये की जलेबी, भर्ता बाटी, कुन्दे के पेड़े, गुझिया, कुल्फी फालूदा, राबड़ी, चाट, पकौड़ी तथा आप यहां की मावा बाटी जरूर खाएं।

मध्य प्रदेश में किन- किन चीजों की करें शॉपिंग

आप मध्य प्रदेश घूमने जा रहें हैं तो वहां पर उस जगह की फ़ेमस चीजों की शॉपिंग अवश्य करें। आप मध्य प्रदेश में सस्ते दामों में सोने चांदी के गहने खरीद सकते हैं तथा अर्टिफिशियल ज्वेलरी भी खरीद सकते हैं। आप यहां पर हैंडिक्राफ्ट की भी शॉपिंग कर सकते हैं, तथा चंदेरी, कोटा, क्रेप, टसल सिल्क तथा हैंडलूम की साड़ियों की भी शॉपिंग कर सकते हैं यहां पर आप जूते, जुतियाँ, बच्चों के सैंडल कपड़े सब कुछ सस्ते दामों में खरीद सकते हैं। आप यहां से बैग्स, सुंदर- सुंदर बटुये की भी खरीददारी कर सकते हैं। तो इसलिए आप जब भी मध्य प्रदेश घूमने जाएं तो खूब जमकर भर- भर के शॉपिंग करें।

कैसे जायें मध्य प्रदेश

जब कोई मध्य प्रदेश जाने की योजना बनाता है तो उसके मन में यह सवाल आता है कि हम मध्य प्रदेश कैसे पहुँचे, तो आईये जाने हवाई, सड़क और रेल माध्यमों से मध्य प्रदेश आसानी से कैसे पहुँचा जा सकता है।

तो आईये हम आपको बताते हैं कि आप सड़क मार्ग , हवाई, रेल मार्ग से मध्य प्रदेश कैसे पहुँचे।

सड़क मार्ग से

यदि आप अपने साधन या अपनी गाड़ी से लखनऊ से मध्य प्रदेश सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं तो आप लखनऊ से मध्य प्रदेश की दूरी 749.6 किलोमीटर है।और आपको लखनऊ से मध्य प्रदेश पहुँचने अपनी गाड़ी से कुल समय 15 घंटे लगते हैं।ऐसे में आप लखनऊ सेNH 30 हाइवे ले सकते हैं जो दोनों शहरों को आपस में जोड़ता है और आप इसके माध्यम से आसानी से मध्य प्रदेश पहुँच जायेंगे।

हवाई मार्ग से

मध्य प्रदेश में दो प्रमुख हवाई अड्डे हैं जो भारत और विदेशों के अन्य हिस्सों के साथ राज्य के लिए सबसे अच्छी हवाई कड़ी के रूप में काम करते हैं। भोपाल में राजा भोज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा ,अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों उड़ानें प्राप्त करता है। समान्य रूप से, इंदौर में देवी अहिल्या बाई होल्कर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दुबई से घरेलू उड़ानें और कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानें मिलती हैं। तो हवाई मार्ग के द्वारा भी आसानी से मध्य प्रदेश पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग से

मध्य प्रदेश तक रेल द्वारा यात्रा करना संभवतः राज्य तक पहुँचने के सर्वोत्तम और सस्ते तरीकों में से एक है। भोपाल रेलवे स्टेशन भारत के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और कई भारतीय शहरों और कस्बों से घरेलू ट्रेनें प्राप्त करता है। इसके अतिरिक्त, इंदौर जंक्शन एक अन्य प्रमुख रेल लिंक है जिस पर देश के किसी भी हिस्से से पहुंचा जा सकता है। इसलिए आप बहुत ही आसानी से और कम पैसों में भी मध्य प्रदेश पहुँच सकते हैं।

This post was last modified on November 20, 2024 12:32 am