पेट की टीबी जिसे मेडिकल भाषा में Abdominal Tuberculosis (TB) कहा जाता है। इस गंभीर बीमारी पर अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो ये आपको सालों साल परेशान कर सकती है। टीबी की बीमारी आंतों में बनती है और यह पेरिटोनियम, पेट के लिम्फ नोड्स और कभी-कभी आंत को भी प्रभावित करती है। भारत में टीबी के मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। टीबी एक ऐसी बीमारी है जो ब्रेन से लेकर, आंख, पेट या बॉडी के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है।
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सर गंगाराम अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पेनक्रिएटिक बिलीएरी साइंसेज के कंसल्टेंट डॉ श्रीहरि अनिखिंडी (dr. shrihari anikhindi) कहते हैं कि ये बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है लेकिन ये युवाओं को ज्यादा अपनी चपेट में लेती है। जब फेफड़े से बाहर टीबी होती है तो उसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं।
इसी में एक है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्यूबरक्लोसिस। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टीबी पेट के पेरिटोनियम और लिंफ में होती है। अगर इस बीमारी का समय पर ठीक से इलाज नहीं किया जाए तो ये सालों साल परेशान कर सकती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण कौन-कौन से हैं और उनसे कैसे बचाव किया जा सकता है।
Abdominal Tuberculosis के लक्षण:
- पेट की टीबी के लक्षणों की बात करें तो इस बीमारी में बुखार आता है। ये बुखार आमतौर पर शाम में ज्यादा आता है।
- वजन का तेजी से कम होना इस बीमारी के लक्षण हैं।
- अक्सर थकावट होना
- पेट में दर्द होना
- पेट की टीबी से पीड़ित लोगों में भोजन सही ढंग से नहीं पचता
- खूनी दस्त आना
- भूख कम लगना
- वोमिटिंग होना
- वजन घटना और पेट में गांठ बनना
- इस बीमारी की वजह से पीलिया तक हो सकता है।
पेट की टीबी होने का कारण:
पेट में टीबी होने के कई कारण हैं। आमतौर पर ये बीमारी लंग्स से फैलती है। इसका अलावा इस बीमारी के लिए डाइट भी जिम्मेदार है। डाइट में दूध का सेवन इस बीमारी का कारण बन सकता है। बिना पाश्चराइज दूध टीबी की बीमारी का कारण बनता है। इस बीमारी का इलाज लम्बा चलता है। इस बीमारी की दवा का कोर्स 6 महीने, 9 महीने या फिर एक साल तक चल सकता है।
टीबी की बीमारी का डायग्नोस कैसे करें:
- पेट की टीबी की बात करें तो ये छोटी और बड़ी आंत को प्रभावित करती है। इस बीमारी की पहचान करने के लिए एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी करते हैं।
- अगर इस बीमारी का पता एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी टेस्ट से नहीं हो पाता तो फिर मंटौक्स टेस्ट करते हैं। इस टेस्ट को ट्यूबरकुलिन टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है।
- इस बीमारी का ट्रीटमेंट लम्बा चलता है मान कर चलिए कि 6 महीने तक इस बीमारी का इलाज चलता है।
इस बीमारी पर काबू पाने के लिए किन फूड्स का सेवन करें:
- टीबी की बीमारी में केटाबॉलिज्म बहुत कॉमन होता है जिसका मतलब है प्रोटीन का ब्रेक डाउन होना है। इस बीमरी को सप्लीमेंट करने के लिए प्रोटीन डाइट का सेवन करना बेहद जरूरी है।
- पोषक तत्वों से भरपूर डाइट का सेवन करें।
- डाइट में ब्रोकली, गाजर, टमाटर, शकरकंद जैसी सब्जियों का सेवन करें। एंटीऑक्सिडेंट्स गुणों से भरपूर फल और सब्जियां टीबी के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है।
- फलों में अमरूद, सेब, संतरा, नींबू, आंवला का सेवन करें।
Nguồn: https://nanocms.in
Danh mục: चिकित्सा