एसिडिटी से हैं परेशान: गले-सीने में जलन, मुंह में खट्टा पानी आना; कब्ज से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं घरेलू नुस्खे

एसिडिटी से हैं परेशान: गले-सीने में जलन, मुंह में खट्टा पानी आना; कब्ज से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं घरेलू नुस्खे

एसिडिटी से हैं परेशान: गले-सीने में जलन, मुंह में खट्टा पानी आना; कब्ज से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं घरेलू नुस्खे

खट्टी डकार आने पर क्या खाना चाहिए

खाना सही से न पचने पर खट्टी डकार आती है। यह कोई बीमारी नहीं, इससे यह पता चलता है कि पेट में गैस या इंफेक्शन है। ओवरईटिंग, मसालेदार भोजन, स्मोकिंग, कोल्ड ड्रिंक, शराब की लत या स्ट्रेस से भी खट्टी डकारें आ सकती हैं। डकार के साथ पेट में जलन, उल्टी, पेट फूलने की तकलीफ हो सकती है। पूर्व चिकित्सा प्रभारी यूनानी एक्सपर्ट डॉ सुबास राय से जानते हैं खट्टी डकार से निजात पाने के उपाय।

खट्टी डकार यानी एसिडिटी आए दिन होने वाली तकलीफ है, इसे इन घरेलू नुस्खों से दूर किया जा सकता है-

नींबू पानी- सुबह उठते ही खट्टी डकार आती है तो एक गिलास पानी में नींबू डालकर पी लें। नींबू-पानी में काला नमक मिलाकर पीने से जल्दी आराम मिलता है।

दही- दोपहर में खट्टी डकार आ रही है तो मीठी दही का सेवन करें। इससे पेट को ठंडक मिलेगी और खट्टी डकार की समस्या से राहत मिलेगी।

सौंफ और मिश्री- रात में खट्टी डकार आती है तो सौंफ के साथ मिश्री का सेवन कर सकते हैं। सौंफ पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है, पेट में गैस नहीं बनने देती और मिश्री से पेट को ठंडक मिलती है।

जीरा-काला नमक- खाने के बाद खट्टी डकार आती है तो 100 ग्राम जीरे को भूनकर पीस लें। रोज खाने के बाद एक गिलास पानी में आधा चम्मच भुने जीरे का पाउडर और आधा चम्मच काला नमक डालकर पिएं।

हींग- गैस या खट्टी डकार की समस्या में हींग का इस्तेमाल किया जा सकता है। हींग को पानी में घोलकर पीने से पेट का भारीपन और खट्टी डकार से आराम मिलता है।

मेथी- मेथी को रातभर पानी में भिगो दें। सुबह इस पानी को खाली पेट पी लें। इसके सेवन से खट्टी डकार की समस्या से छुटकारा मिलता है।

इलायची- इलायची खाने से गैस और खट्टी डकार की समस्या में आराम मिलता है।

लौंग- खट्टी डकार आने पर लौंग का पानी या लौंग का सेवन फायदेमंद है।

हाइपर एसिडिटी क्या है?

मुंह में खट्टा पानी आना हाइपर एसिडिटी का संकेत हो सकता है। हाइपर एसिडिटी होने पर पेट में जलन, गैस की समस्या होती है। इसे गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज कहते हैं। डॉ राय कहते हैं कि हाइपर एसिडिटी की समस्या आम हो चुकी है। इसका इलाज इन उपायों को अपनाकर कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके प्रमुख कारण लक्षण और उपचार –

हाइपर एसिडिटी के कारण

पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड अम्ल मौजूद होता है, जो खाने के टुकड़ों को तोड़ने का काम करता है। यही अम्ल जब इसोफेगस की परत से होकर गुजरता है, तो सीने या पेट में जलन होती है, क्योंकि इसोफेगस की परत हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को बर्दाश्त नहीं कर पाती। बेवक्त खाने की वजह से भी हाइपर एसिडिटी हो सकती है। प्रेग्नेंट महिलाओं में एसिड रिफ्लक्स होने लगता है, जिसकी वजह से भी एसिडिटी की परेशानी होती है। इसके अलावा स्ट्रेस, खाने की गलत आदतें और खराब लाइफस्टाइल के कारण भी हाइपर एसिडिटी हो सकती है।

हाइपर एसिडिटी के घरेलू उपाय

एलोवेरा जूस- हाइपर एसिडिटी से परेशान हैं तो एलोवेरा जूस पिएं। सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस के सेवन से एसिडिटी कंट्रोल होगी।

आंवला- एसिडिटी या पेट दर्द होने पर विटामिन सी वाली डाइट फायदेमंद होती है। इससे डाइजेशन सिस्टम दुरुस्त रहता है। आंवला में विटामिन सी की प्रचुरता पाया जाता है इसलिए हाइपर एसिडिटी होने पर आंवला खाएं।

नारियल पानी- इसमें फाइबर होता है, जो डाइजेशन को सही रखता है। एक नारियल पानी में करीब 9 फीसदी फाइबर होता है, जो पेट की परेशानी को ठीक करने में असरदार है। नारियल पानी से बॉडी में मौजूद टॉक्सिन्स यूरिन के जरिए बाहर निकल जाते हैं।

पानी- हाइपर एसिडिटी से राहत पाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। पानी हर मर्ज की दवा है। इससे डाइजेशन सिस्टम सही रहता है।

कैंसर का संकेत

आहार नली का कैंसर यानी एसोफैगल कैंसर के शुरुआती स्टेज में व्यक्ति को सॉलिड चीजें खाने में परेशानी होती है और धीरे-धीरे यह परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है। इसके बाद मरीज को लिक्विड चीजें निगलने में भी परेशानी होती है। अगर खाने-पीने में किसी तरह की परेशानी हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर सुबास राय ने बताया कि एसोफैगल कैंसर 50 की उम्र से ऊपर के लोगों को होने का खतरा ज्यादा रहता है। गलत लाइफस्टाइल और स्मोकिंग की लत से कम उम्र के लोगों को भी तकलीफ होने लगी है। एसिडिटी की समस्या ज्यादा होना एसोफैगल कैंसर की निशानी हो सकती है इसलिए इसे नजरअंदाज न करें।

खाने की नली में कैंसर

डॉक्टर राय बताते हैं कि खाने की नली का कैंसर दो भागों में बंटा है-

स्क्वैमस सेल्स कार्सिनोमा- इसमें ग्रासनली का ऊपरी और बीच का हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। इस कैंसर की शुरुआत ग्रासनली के स्तर को बनाने वाली फ्लैट, पतली सेल्स में शुरू होता है।

एडेनोकार्सिनोमा- यह भारत में लोगों को ज्यादा होने लगा है। इसकी वजह मॉडर्न लाइफस्टाइल है। इसमें ग्रासनली का निचला हिस्सा प्रभावित होता है।

खाने की नली में कैंसर के चरण

खाने की नली के कैंसर को चार भागों में बांटा गया है, जिसमें से 3 स्टेज तक इस कैंसर का इलाज संभव है। स्टेज-4 तक आते-आते मरीज की हालत काफी गंभीर हो जाती है।

पहली स्टेज- कैंसर सिर्फ आहार नली की परतों की सेल्स को प्रभावित करता है।

दूसरी स्टेज- कैंसर सेल्स आहार नली की बाहरी दीवार और 1 से 2 लिम्फ नोड्स तक फैलते हैं।

तीसरी स्टेज- कैंसर सेल्स मसल्स या टिशु की दीवारों पर फैलते हैं। इस स्टेज तक यह ज्यादातर लिम्फ नोड्स तक फैल चुके होते हैं।

चौथी स्टेज- कैंसर के सेल्स पेट के सभी अंगों को प्रभावित करते हैं। इस स्टेज में कैंसर आहार नली के साथ-साथ लिम्फ नोड्स तक पूरी तरह से फैल चुका होता है।

खाने की नली के कैंसर के लक्षण

खाने की नली के कैंसर का कारण

डॉक्टर राय बताते हैं कि हमारी कुछ आदतों के कारण खाने की नली में कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है-

खाने की नली के कैंसर की जांच

एंडोस्कोपी- फ्लेक्सिवक ट्यूब की मदद से एंडोस्कोपी की जाती है। यह एक लचीली ट्यूब है, जिसके एक सिरे में कैमरा होता है और पहला सिरा मरीज के मुंह में डाला जाता है। सिर्फ 2 से 3 मिनट के अंदर एंडोस्कोपी की जाती है।

बायोप्सी- कैंसर या ट्यूमर का साइज पता करने के लिए जांच की जाती है, जिसमें एंडोस्कोपी की मदद से कैंसर के सेल्स का छोटा टुकड़ा लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है।

सीटी स्कैन- इसमें कैंसर की स्टेज का पता लगाने की कोशिश की जाती है। इसमें यह जानने की कोशिश की जाती है कि मरीज के शरीर का कौन-कौन सा हिस्सा प्रभावित है।

पीईटी सीटी- इसमें मरीज को इंजेक्शन दिया जाता है। यह टेस्ट कैंसर की स्टेज जानने के लिए किया जाता है। इसी के आधार पर डॉक्टर ट्रीटमेंट शुरू करते हैं।

प्रग्नेंसी में गैस और डकार

प्रग्नेंसी में गैस और डकार की समस्या आम है। ज्यादातर ये पहली तिमाही में होती है। इसकी वजह अक्सर हार्मोनल बदलाव को समझा जाता है, लेकिन इसके कई और कारण हो सकते हैं। इस बीच प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन बॉडी में तेजी से बढ़ते हैं, जिसकी वजह से यूट्राइन लाइनिंग मोटी होती है और बॉडी में गैस, बेचैनी, जी मिचलाना, उल्टी, पेट दर्द और डकार जैसी समस्या होती है। इसके अलावा भी कुछ अन्य वजहें हो सकती हैं। जानिए प्रग्नेंसी में गैस बनने के कारण और बचाव के ​तरीके-

प्रग्नेंसी में डकार से राहत पाने के तरीके

डिस्क्लेमर- यह जानकारी यूनानी नुस्खों के आधार पर दी गयी है। इनके इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

This post was last modified on November 28, 2024 1:20 am