नाक, होठ, गाल, कान, गले, हाथ, पैर और तलवे पर नजर आने वाले काले रंग के छोटे से गोल तिल को लेकर अलग-अलग जगहों पर कई शुभ-अशुभ बातें कही-सुनी जाती हैं. शरीर के कुछ हिस्सों को सौभाग्यशाली माना जाता है तो कुछ को दुर्भाग्य का संकेत. गानों, फिल्मों, शेरो-शायरी और कविताओं में दशकों से तिल या मस्से को नायिका की खूबसूरती से जोड़कर पेश किया जाता रहा है. तिल और मस्से को सुंदरता का पैमाने मानने वाली कई लड़कियां तो आर्टिफिशियल तिल भी बनवा लेती हैं. वहीं, ज्योतिष और मेडिकल साइंस में हर तिल या मस्सा कुछ अलग ही कहानी कहता है.
सबसे पहले समझते हैं कि तिल और मस्से क्या होता है? तिल और मस्से सामान्य स्किन ग्रोथ होती है. ये पिगमेंटेड कोशिकाओं के समूहों के कारण बनते हैं. तिल धब्बे, जबकि मस्से कुछ उभरे हुए होते हैं. ये अक्सर छोटे, गहरे भूरे रंग के बेहद छोटे धब्बे के तौर पर दिखाई देते हैं. ज्यादातर तिल और मस्से बचपन या किशोरावस्था में दिखाई देने लगते हैं. ज्यादातर लोगों के शरीर में तिलों की संख्या 10 से 40 के बीच हा सकती है. हालांकि, समय के साथ कुछ तिल या मस्से अपने आप खत्म हो जाते हैं. वहीं, कुछ ताउम्र बने रहते हैं. ज्यादातर तिल या मस्सों से कोई नुकसान नहीं होता है. वहीं, कुछ तिल या मस्से कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियों का संकेत देते हैं.
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डॉक्टर क्यों करते हैं तिल-मस्सों की जांच ज्यादातर डॉक्टर मेलेनोमा की जांच के लिए मस्सों और त्वचा के गहरे रंग वाले धब्बों की जांच करते हैं. मेलेनोमा को स्किन कैंसर में सबसे घातक माना जाता है. मेडिकल लैंग्वेज में अकेले मस्से को नेवस और इससे ज्यादा को नेवी कहा जाता है. तिल और मस्से जन्मजात, एक्वायर्ड और अनियमित तीन तरह के होते हैं. जन्म के समय से नजर आने वाले मस्से या तिल जन्मजात कहे जाते हैं. अमेरिका के ओस्टियोपैथिक कॉलेज ऑफ डर्मेटोलॉजी के मुताबिक, हर 100 में एक शिशु के शरीर पर तिल या मस्से हो सकते हैं. इनके रंग में फर्क हो सकता है. जन्मजात तिल या मस्से कैंसर का कारण नहीं बनते हैं.
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ऐसे मोल्स माने जाते हैं कैंसर का संकेत जनरल फिजीशियन डॉक्टर मोहित सक्सेना कहते हैं कि एक्वायर्ड मोल्स उन तिल और मस्सों को कहा जाता है, जो बाद में स्किन पर दिखने लगते हैं. ऐसे मोल्स ज्यादातर भूरे रंग के होते हैं. कई बार ये धूप में होने वाली स्किन डैमेज की वजह से भी बनने लगते हैं. उम्र के बढ़ने पर इनमें खास बदलाव नहीं होता है. हालांकि, इनका रंग गहरा हो सकता है. ये बिलकुल जरूरी नहीं है कि ये मेलेनोमा में तब्दील हों. कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा अनियमित तिल या मस्सों से होता है. अमेरिकन ओस्टियोपैथिक कॉलेज ऑफ डर्मेटोलॉजी के शोध के मुताबिक, अमेरिका में हर 10 में कम से कम एक इंसान को अनियमित मोल्स की समस्या होती है. ये मोल्स आकार में बड़े और गहरे रंग के होते हैं.
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मेलानोसाइट्स से कैसे बनते हैं मस्से अगर किसी मस्से के आकार रंग या ऊंचाई में बदलाव हो रहा है तो ये खतरे का संकेत माना जाता है. अगर मस्सा काले रंग का हो जाए तो सबसे ज्यादा खतरे का संकेत माना जाता है. साथ ही मस्से में खुजली या खून बहने की दिक्कत होने लगे तो खतरा बढ़ जाता है. बता दें कि मस्से तब होते हैं, जब त्वचा की कोशिकाएं यानी मेलानोसाइट्स गुच्छे में बढ़ने लगती हैं. मेलानोसाइट्स पूरी त्वचा में मौजूद होते हैं और मेलेनिन का उत्पादन करते हैं. इसी मेलेनिन की वजह से त्वचा का रंग अलग-अलग होता है.
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ज्योतिष शास्त्र में तिलों का रहस्य ज्योतिषशास्त्र में शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर दिखने वाले तिलों या मस्सों के मायने अलग माने जाते हैं. इसमें चेहरे के तिल का संबंध भाग्य से माना जाता है. गालों पर तिल आकर्षण क्षमता को मजबूत करता है. वहीं, चेहरे पर कहीं भी मौजूद तिल को धन लाभ कराने वाला माना जाता है. नाक पर तिल होना व्यक्ति के अनुशासित होने का संकेत माना जाता है. अगर नाक के नीचे तिल होता है तो माना जाता है कि व्यक्ति के चाहने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होगी. माथे पर तिल को संघर्ष के बाद धनवान बनने का संकेत माना जाता है. वहीं, होंठों पर तिल को व्यक्ति के बहुत ज्यादा प्रेमी स्वभाव का होने के तौर पर लिया जाता है. हाथ के बीचो-बीच तिल को सम्पन्नता का प्रतीक कहा जाता है.
लाल तिल का ज्योतिष में अलग मतलब अगर पैरों के तलवे में तिल हो तो ज्योतिषशास्त्र कहता है कि जातक हमेशा घर से दूर रहेगा, लेकिन बड़ी सफलता हासिल करेगा. ज्योतिषाचार्य, वास्तुशास्त्री व अंकशास्त्री अखिलेश कुमार के मुताबिक, सीने पर तिल व्यक्ति को पारिवारिक दिक्कतों का सामना कराता है. वहीं, अगर हथेलियों के पर्वत या अंगुलियों पर तिल हो तो दुर्भाग्य का कारण माना जाता है. पेट पर तिल धन तो देता है, लेकिन स्वास्थ्य खराब करता है. अगर तिल पर बाल हो तो उसे शुभ नहीं माना जाता है. इसके अलावा गहरे रंग के तिल को जीवन में बड़ी बाधाओं का संकेत माना जाता है. वहीं, लाल तिल सम्पन्नता और दुर्भाग्य दोनों का प्रतीक माना जाता है. अगर लाल तिल चेहरे पर हो तो वैवाहिक जीवन में दुर्भाग्य का संकेत देता है. वहीं, बाहों का लाल तिल आर्थिक मजबूती का संकेत होता है.
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कौन-से तिल माने जाते हैं सौभाग्यशाली अगर किसी व्यक्ति के सिर के ऊपरी हिस्से या पिछले हिस्से पर मस्सा होता है, तो उसे सौभाग्यशाली माना जाता है. ऐसे जातक खूब पैसा कमाते हैं. वहीं, ललाट या मस्तक पर मस्सा होना भी सौभाग्यशाली माना जाता है. ऐसे लोग समाज में खूब सम्मान हासिल करते हैं. दोनों भौह के बीच मस्सा होने पर जातक में कुटिलता आ जाती है. हालांकि, ऐसे जातक अपने जीवन में हर सुख का भोग करते हैं. होठ या गले पर मस्सा या तिल हो तो जातक बहुमुखी प्रतिभा के धनी माने जाते हैं. नाक या कान पर मस्सा या तिल हो तो जातक बुद्धिमान होते हैं. ऐसे लोग नये कपड़े पहनने के शौकीन होते हैं. पुरुषों के शरीर पर दाहिनी ओर, जबकि महिलाओं के बायीं तरफ वाले तिल शुभ व लाभकारी माने जाते हैं.
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