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- BY:RF Temre
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शब्द रचना से आशय –वर्णो या शब्दों के संयोग से नवीन शब्द बनाने की प्रक्रिया को रचना या बनावट कहा जाता है। वर्णों को मिलाने से शब्दों की रचना होती है। इन शब्दों के खण्ड किए जा सकते हैं जिन्हें शब्द खण्ड या शब्दांश कहते हैं। उदाहरण के लिए – ‘गाय’ शब्द के दो खंड है – ‘गा’ और ‘य’। चूँकि इन अलग-अलग शब्दांशों का यहाँ कोई अर्थ नहीं है। जबकि कुछ शब्दों के खण्ड करने पर दोनों शब्दांशों के अर्थ निकलते हैं। उदाहरण के लिए ‘विद्यालय’ शब्द के खण्ड करने पर ‘विद्या’ और ‘आलय’ दो खण्ड बने हैं। ‘विद्या’ और ‘आलय’ इन दोनों शब्दांशों के अलग-अलग अर्थ हैं। इसके अलावा कुछ अलग-अलग अर्थ वाले शब्द खण्ड (शब्दांश) आपस में जुड़कर एक नया अर्थ देते हैं। इस तरह शब्दों की रचना (निर्माण/बनाना) की जाती है। बनावट के इसी विचार से शब्दों को तीन भागों में बाँटा गया है। (1) रूढ़ (2) यौगिक (3) योगरूढ़
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(1) रुढ़ शब्द – जैसा कि उपर चर्चा की- शब्दों की रचना वर्णों से होती है। रचे हुये ऐसे जिनसे केवल एक ही अर्थ का बोध होता हो। उस शब्द के खण्ड किये जाने पर उन शब्द खण्डों (शब्दांशों) का कोई उचित अर्थ न निकल रहा हो तो ऐसे शब्दों को रूढ़ शब्द कहते हैं। उदाहरणार्थ शब्द ‘घर’ के खण्ड करने पर ‘घ’ और ‘र’ शब्द खण्ड बनते हैं जिनका अलग अलग रूप में कोई अर्थ नहीं निकलता। ‘घर’ शब्द का केवल एक ही अर्थ है – मकान या आवास। इसी तरह अन्य उदाहरण देखें – पैर (पै+र), रात ( रा + त), हाथ (हा + थ) इन शब्दों के खण्ड करने पर कोई अर्थ नहीं निकलता। इन शब्दों का दूसरा पहलू देखें तो ये शब्द स्वतन्त्र होते हैं। इनकी रचना अन्य शब्दांशों के मिलाने से नहीं की जा सकती। इस तरह रूढ़ शब्द के सबंध में तीन बातें सामने आती हैं। (क) अवयव (खण्ड) करने पर कोई अर्थ नहीं निकलते। (ख) इन शब्दों की व्युत्पत्ति भी नहीं की जा सकती। (ग) इन शब्दों की स्वतन्त्र सत्ता होती है।
रूढ़ शब्दों के उदाहरण – घोड़ा, कुत्ता, किताब, कौआ, नाक, कान, दिन, घर, मुँह, दाम, रात, बात, आग, सरल, कठिन, बगीचा, लक्ष्मी, ऐरावत आदि। टीप – इसी तरह के सभी शब्द जिनके खण्ड करने पर उन खण्डों का कोई भी अर्थ न निकले रूढ़ शब्दों के उदाहरण होंगे।
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2. यौगिक शब्द – नाम से स्पष्ट है ‘यौगिक’ अर्थात जुड़े हुये या मिले हुये। ऐसे शब्द जो दो शब्दों या शब्द खण्डों के संयोग से बनते है और उनका प्रत्येक खण्ड सार्थक (अर्थयुक्त) होता है। यौगिक शब्द कहलाते हैं। बहुत संक्षेप में कहा जाये तो रूढ़ शब्दों के योग से बने शब्द को ‘यौगिक शब्द’ कहते हैं। यौगिक शब्द कै खण्ड करने पर उन प्रत्येक अवयव या खण्ड का अर्थ सरलतापूर्वक किया जा सकता है। यौगिक शब्द उपसर्ग, प्रत्यय या अन्य रुढ़ शब्द मिलाने से बनते है, ये यौगिक कहते है – उदाहरणार्थ – जन्मभूमि शब्द के खण्ड करने पर ‘जन्म’ और ‘भूमि’ अलग-अलग हुए। अब इनका अलग-अलग स्पष्ट अर्थ भी है। जन्म अर्थात पैदा होना और भूमि अर्थात जमीन। संयुक्त होने पर ‘जन्मभूमि’ इसका अर्थ होगा- वह जमीन जहाँ हमारा जन्म हुआ।
अन्य उदाहरण – प्रधानमंत्री = प्रधान + मंत्री पुस्तकालय = पुस्तक + आलय उपकार = उप + कार बनावट = बन+ आवट घुड़सवार = घुड़ + सवार राजपुत्र = राज + पुत्र पाठशाला = पाठ + शाला स्वामिभक्त = स्वामी + भक्त आगबबूला = आग + बबूला पीलापन = पीला + पन दूधवाला = दूध + वाला सप्तऋषि = सप्त + ऋषि महर्षि = महा + ऋषि राज्यर्षि = राज्य + ऋषि भोजनालय = भोजन + आलय छात्रावास = छात्र + आवास इत्यादि उक्त में प्रत्येक शब्द के दो खण्ड हैं और दोनों खण्ड सार्थक हैं।
(ग) योगरूढ़ शब्द – ऐसे शब्द जो विशेष अर्थ का बोध कराते हों योगरूढ़ कहलाते हैं। योगरूढ़ शब्दों की रचना भी यौगिक शब्दों की भाँति दो या दो से अधिक शब्दांशों (शब्द खण्डों) द्वारा होती है। यौगिक शब्द शब्दानुसार ही सामान्य अर्थ को प्रकट करते हैं किन्तु योगरूढ़ शब्द सामान्य या साधारण अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ बताते हैं। योगरूढ़ शब्द योग + रूढ़ दो शब्दखण्डों (शब्दांशों) से मिलकर बना है। जिसमें ‘योग’ का अर्थ एक से अधिक अवयव (शब्दांश/शब्द खण्ड) द्वारा निर्मित होता है। ‘रूढ़’ का अर्थ किसी विशिष्ट अर्थ का वाचक अर्थात रूढ़ है। इस प्रकार योगरूढ़ शब्द यौगिक एवं रूढ़ दोनों होता है।
सरल शब्दों में कहें तो ऐसे शब्द जो यौगिक तो होते हैं, पर अर्थ के विचार से अपने सामान्य अर्थ को छोड़ किसी विशेष अर्थ को बताते हैं। आशय यह है, कि यौगिक शब्द जब अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ बताने लगे, तब वे योगरूढ़ कहलाने लगते हैं।
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उदाहरण के लिए शब्द ‘पंकज’ योगरूढ़ है। इस शब्द में ‘पंक’ का अर्थ ‘कीचड़’ है जबकि ‘अज’ का अर्थ ‘उत्पन्न’ या ‘जन्मा’ होता है। पंक (कीचड़) में कई वस्तुएँ उत्पन्न होती हैं, किन्तु ‘पंकज’ (कीचड़ में उत्पन्न) शब्द ‘कमल’ के अर्थ का परिचायक है। इसी तरह पानी प्रदान करने वाली अनेक वस्तुएँ हो सकती हैं, किन्तु ‘बारिद’ शब्द योगरूढ़ होकर ‘बादल’ के अर्थ का परिचायक है।
योगरूढ़ शब्दों के उदाहरण – (1) पंकज साधारण अर्थ – कीचड़ में जन्मा विशेष अर्थ – कमल (2) दशानन साधारण अर्थ – दस मुख वाला विशेष अर्थ – रावण (3) लम्बोदर साधारण अर्थ – लम्बा पेट वाला विशेष अर्थ – गणेश (4) पीतांबर साधारण अर्थ – पीला वस्त्र धारण करने वाला विशेष अर्थ – विष्णु (5) जलज साधारण अर्थ – जल में पैदा होने वाला। विशेष अर्थ – कमल (6) नीरज साधारण अर्थ – जल में पैदा होने वाला। विशेष अर्थ – कमल (7) चक्रपाणि साधारण अर्थ – चक्र को धारण करने वाला। विशेष अर्थ – कृष्ण (विष्णु) (8) वारिज साधारण अर्थ – जल में पैदा होने वाला। विशेष अर्थ – कमल (9) पंचानन साधारण अर्थ – पाँच मुखों वाला विशेष अर्थ – भगवान शंकर (10) दयानन्द साधारण अर्थ – दया प्रदान करने वाला। विशेष अर्थ – ईश्वर (11) वारिद साधारण अर्थ – जल से युक्त विशेष अर्थ – बादल (12) नीरद साधारण अर्थ – जल प्रदान करने वाला। विशेष अर्थ – बादल
यौगिक एवं योगरूढ़ शब्दों में अंतर
यौगिक शब्द योगरूढ़ शब्द यौगिक शब्द दो या उससे अधिक शब्द दो शब्दों (शब्दांशों) के संयोग से मिलकर बने होते हैं। योगरूढ़ शब्द भी दो या उससे अधिक शब्द दो शब्दों (शब्दांशों) के संयोग से मिलकर बने होते हैं। यौगिक शब्द शब्दानुसार ही सामान्य अर्थ को प्रकट करते हैं। योगरूढ़ शब्द विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं। यौगिक शब्द उस शब्द के शाब्दिक अर्थ को बताते हैं। योगरूढ़ शब्द विशेष (हटकर) नामों के परिचायक होते हैं।
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I Hope the above information will be useful and important. (आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।) Thank you.R F Temre rfhindi.com
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