Arjun Ke 12 Naam – जब भी महाभारत का जिक्र होता है तो अर्जुन का नाम जरूर लिया जाता है क्योंकि वह एक महान योद्धा थे, जिन्होंने अपनी वीरता से कई युद्ध जीते हैं। हालांकि योद्धा के मामले में कर्ण भी कम नहीं थे लेकिन अर्जुन तो अर्जुन ही हैं जिनकी वीरता हमें महाभारत में देखने को मिलती है।
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अर्जुन एक महान योद्धा थे जो आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। भगवान श्री कृष्ण की मदद से अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में कौरवों को हराया और पांडवों को जीत दिलाई। वह भगवान कृष्ण के सबसे प्रिय मित्र थे और उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से बहुत ज्ञान प्राप्त किया था जिसका परिणाम आज हम सभी को भगवद गीता के रूप में मिला है।
Bạn đang xem: अर्जुन के 12 नाम (अर्जुन के 10 नाम) – Arjun Ke 12 Naam (Arjun Ke 10 Naam)
अर्जुन एक महान योद्धा होने के साथ-साथ एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई और आदर्श पति भी थे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाभारत में अर्जुन के कई नाम थे लेकिन अर्जुन का सबसे प्रचलित नाम “अर्जुन” है। इसके बाद नाम आता है – पार्थ, जिसे भगवान श्री कृष्ण ने दिया है। आपको बता दें कि अर्जुन के नाम का अर्थ “उज्ज्वल” है जो उसकी वीरता और साहस को दर्शाता है। तो आइए जानते हैं अर्जुन के 12 नाम के बारे में –
अर्जुन के 12 नाम (अर्जुन के 10 नाम) – Arjun Ke 12 Naam (Arjun Ke 10 Naam)
- पार्थ
- कपिध्वज
- धनंजय
- गुडाकेश
- भारत/भरतश्रेष्ट
- फाल्गुन
- पुरुषर्षभ
- कौन्तेय
- किरीटी
- परन्तप
- सव्यसाची
- महाबाहु
आइए इन नामों में से प्रत्येक के बारे में विस्तार से जानें –
1 – पार्थ
महाभारत में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को पार्थ कहकर पुकारते थे। अर्जुन का नाम पार्थ इसलिए पड़ा क्योंकि उनकी माता कुंती का एक पर्यायवाची शब्द पार्थ था। इस तरह प्रथा का पुत्र यानी पार्थ उनका नाम बन गया।
2 – धनंजय
अर्जुन के 12 नामों में ‘धनंजय’ नाम उन्हें महाभारत युद्ध के दौरान श्री कृष्ण जी ने दिया था। इसके बारे में भगवद गीता के अध्याय 2 में जानकारी दी गई है।
भगवान कृष्ण ने अर्जुन को अपने धन और समृद्धि के लिए नहीं बल्कि अपने धर्म के पालन के लिए युद्ध करने की सलाह दी थी। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि उनका धर्म यह है कि वह अपने कर्तव्य के लिए लड़ें और अपने संघर्ष के माध्यम से समझौते से विचलित न हों। इसीलिए उन्हें धनंजय कहा जाता है।
3 – गुडाकेश
भगवद गीता के अध्याय 11 में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ‘गुडाकेश’ नाम दिया था। अर्जुन के 12 नामों में गुडाकेश नाम रखने की कथा बताती है कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उसके संदेह और दुखों से मुक्ति दिलाने के लिए उसे अपने ब्रह्मांडीय रूप का दर्शन कराया था।
उस दर्शन के समय अर्जुन भयभीत हो गया और उसने अपना धनुष उठाने से मना कर दिया। इस पर भगवान कृष्ण ने उससे कहा कि वह गुडाकेश है, यानी धनुष हाथ में लेने से पहले उसे संघर्ष करना चाहिए।
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4 – कौन्तेय
भगवद गीता में अर्जुन को कई बार ‘कौन्तेय’ नाम दिया गया है। इस नाम का अर्थ है ‘कुंती का पुत्र’। अर्जुन के 12 नामों में सबसे तेज धनुर्धर अर्जुन है, जो अद्भुत क्षमताओं से संपन्न है। उन्होंने अर्जुन को ‘किरीटी’ कहकर संबोधित किया जो उसकी विशेष वीरता और दैवीय शक्तियों को दर्शाता है।
6 – कपिध्वज
महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ‘कपिध्वज’ नाम दिया था। इस नाम का अर्थ है ‘वानर सेना का सेनापति’।
महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन ने भगवद गीता में अपनी असमर्थता और अनेक शंकाओं का वर्णन किया था। युद्ध के दौरान दोनों पक्षों के लोगों को मारने से संबंधित विवेक की समस्या थी।
इस पर भगवान कृष्ण ने उन्हें युद्ध में धर्म की उपेक्षा न करने का उपदेश दिया था। महाभारत में अर्जुन के 12 नामों में कपिध्वज नाम का प्रयोग किया गया है।
7 – परंतप
महाभारत में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ‘परंतप’ नाम दिया था। इस नाम का अर्थ है ‘विरोध का नाश करने वाला’।
महाभारत युद्ध के दौरान मेघनाद वध के बाद अर्जुन विवेकहीन हो गए थे। उन्होंने भगवान कृष्ण को अपनी बदली हुई स्थिति के बारे में बताया और बताया कि अब वे युद्ध लड़ने में असमर्थ हैं। इस पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बुद्धिमान बनाने के लिए ‘परंतप’ नाम से संबोधित किया।
8 – भारतश्रेष्ठ
महाभारत में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ‘भारतश्रेष्ठ’ नाम दिया था। यह नाम अर्जुन के 12 नामों में उनकी ‘सर्वश्रेष्ठ धनुर्विद्या’ के कारण इस्तेमाल किया गया है।
महाभारत में, अर्जुन ने भगवान कृष्ण के साथ द्वापर युग के युद्ध में भाग लिया था। युद्ध के दौरान, अर्जुन ने अपनी शक्तियों का परीक्षण किया और उन्होंने महाभारत के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन किया। इस बीच, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को ‘भारतश्रेष्ठ’ कहकर संबोधित किया।
9 – फाल्गुन
अर्जुन को फाल्गुन नाम से जाना जाता है, जो महाभारत के पात्रों में से एक है। भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को फाल्गुन कहा है। फाल्गुन नाम का प्रयोग अर्जुन की विशेष धनुर्विद्या के लिए किया जाता है।
महाभारत युद्ध के पहले दिन, अर्जुन ने अपने सारथी कृष्ण से कहा कि वह युद्ध लड़ने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं। तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सलाह देने के लिए भगवद गीता का उपदेश दिया। इस दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कई बार फाल्गुन नाम से संबोधित किया।
10 – पुरुषभा
अर्जुन को पुरुषभा कहा जाता है, जो महाभारत के एक महान योद्धा थे। पुरुषभा शब्द का अर्थ है “पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ”।
महाभारत युद्ध में अर्जुन ने अपनी शक्ति और योग्यता के कारण अपने साथियों और शत्रुओं का सम्मान प्राप्त किया। अर्जुन के 12 नामों में अर्जुन को पुरुषभा कहने का कारण युद्ध के दौरान दिखाई गई उनकी उत्कृष्ट क्षमता थी।
अर्जुन को पुरुषभा कहने वाले बहुत से लोग थे, लेकिन महाभारत में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को पुरुषभा कहा था। यह भगवद गीता में भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश के दौरान था जब उन्होंने अर्जुन को प्रोत्साहित करने के लिए उसकी महत्वपूर्ण क्षमताओं का वर्णन किया था।
11 – सव्यसाची
अर्जुन को सव्यसाची कहा जाता था, जो महाभारत के योद्धाओं में से एक थे। सव्यसाची शब्द का अर्थ है “दोनों हाथों से कुशल”। इसका मतलब है कि अर्जुन ने दोनों हाथों से समान रूप से युद्ध किया।
महाभारत में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को 12 नामों से पुकारा था, जिनमें से सव्यसाची भी प्रमुख है। यह नाम उन्हें तब दिया गया था, जब वे महाभारत युद्ध में अपना रथ नियंत्रित कर रहे थे।
भगवान कृष्ण ने उन्हें दोनों हाथों से समान रूप से लड़ते हुए देखा और उनके साथ लड़ने वाले अन्य योद्धाओं से अलग थे। इसके बाद भगवान कृष्ण ने अर्जुन को सव्यसाची कहा।
12 – महाबाहु
महाभारत में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को महाबाहु भी कहा था। यह उनकी क्षमताओं और उनके लड़ने के तरीके के कारण था। अर्जुन एक बहुत ही खास योद्धा थे, जो अपनी भुजाओं और अद्भुत युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। इसके अलावा, अर्जुन एक बहुत ही धैर्यवान और शांत व्यक्ति थे, जो लड़ते हुए भी शांत रहते थे।
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Danh mục: शिक्षा
This post was last modified on November 19, 2024 8:10 pm