सनातन परंपरा में ईश्वर की साधना के लिए मंत्र जप को उत्तम उपाय बताया गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने आराध्य का विधिपूर्वक श्रद्धा और विश्वास के साथ मंत्र जप करता है तो उस पर उनकी पूरी कृपा बरसती है। मान्यता है कि यदि आप अपने आराध्य से जुड़े तीर्थ स्थान पर किसी कारणवश न पहुंच पाएं तो आप उनका मंत्रों के द्वारा मनन करके उनके दर्शन एवं पूजन का शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में शिव को समर्पित श्रावण मास में यदि आप 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन न कर पाएं तो अपने घर में ही उन द्वादश ज्योतिर्लिंग के मंत्र का जप करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
किसे कहते हैं ज्योतिर्लिंग
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव से जुड़े 12 ज्योतिर्लिंग वो पावन स्थान हैं जहां पर देवों के देव महादेव ज्योति के रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में इन सभी 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन एवं पूजन कर लेता है, वह सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है।
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12 ज्योतिर्लिंग की पूजा का मंत्र
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारंममलेश्वरम्॥
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परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
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एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
ज्योतिर्लिंग के मंत्र जप से दूर होते हैं 7 जन्मों के पाप
हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। सनातन परंपरा के अनुसार ये 12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के सबसे बड़े धाम हैं जहां पर भगवान शिव का प्राकट्य हुआ था। यही कारण है कि इसके ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। सनातन परंपरा के अुनसार यदि कोई शिव भक्त श्रावण के महीने में प्रतिदिन इन द्वादश ज्योतिर्लिंग यानि सौराष्ट्र स्थित सोमनाथ, श्रीशैल स्थित मल्लिकार्जुन, उज्जैन स्थित महाकाल, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, घृष्णेश्वर, त्र्यम्बकेश्वर,काशी विश्वनाथ और केदारनाथ का इस मंत्र के जरिए सुमिरन करता है, उसके जीवन में किसी भी प्रकार का दुख नहीं रहता है और उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।
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(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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