Solah Somvar Vrat: शास्त्रों के अनुसार, सोलह सोमवार का व्रत मुख्य रूप से किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है। इसके साथ ही सोलह सोमवार का व्रत रखने से पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सोलह सोमवार का व्रत खुद पार्वती ने की थी। भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने 16 सोमवार व्रत रखकर कठिन तपस्या की थी। सोलह सोमवार का व्रत रखने से व्यक्ति को सुख-संपदा धन-संपदा की प्राप्ति होती है। इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों ही रख सकते हैं। अगर आप श्रावण मास से सोलह सोमवार शुरू नहीं कर पाए हैं, तो मार्गशीर्ष मास से शुरू कर सकते हैं। जानिए पूरी विधि, महत्व और उद्यापन विधि।
कब से शुरू हो रहा मार्गशीर्ष मास 2023
इस साल मार्गशीर्ष मास 28 नवंबर से शुरू हो रहा है। इसके साथ ही 5 दिसंबर 2023 को पहला सोमवार पड़ रहा है। इस दिन से आप 16 सोमवार का व्रत आरंभ कर सकते हैं।
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सोलह सोमवार की पूजा विधि
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सोमवार के दिन स्नान करने के साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद हाथ में एक फूल, अक्षत लेकर भगवान शिव को समर्पित करें। अब साफ मिट्टी से शिवलिंग बनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि शिवलिंग अंगूठे के पोर के बराबर हो। इससे बड़ा शिवलिंग घर में पूजा नहीं करनी चाहिए। इसके बाद इसमें जल अर्पित करें। इसके बाद व्रत का संकल्प ले लें। इसके बाद हाथ में थोड़ा सा गंगाजल या फिर साधारण जल, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी, एक सिक्का और बेलपत्र लेकर संकल्प लें लें। इसके बाद इस मंत्र को बोले-
ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥
अब फूल आदि भगवान शिव को अर्पित कर दें। इसके बाद सफेद वस्त्र चढ़ाएं।इसके साथ ही सफेद चंदन और अक्षत लगा दें। इसके बाद सफेद फूल, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाएं। इसके बाद अष्टगंध, धूप अर्पित कर दें। इसके साथ ही भोग में मिठाई, फल के साथ नैवेद्य चढ़ा दें। इसके बाद जल अर्पित कर दें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर व्रत कथा पढ़ दें। इसके बाद विधिवत तरीके से मंत्र, चालीसा के बाद आरती कर लें।
सोलह सोमवार का पूजन प्रदोष काल यानी दिन के तीसरे पहर करीब 4 बजे के आस- पास करना चाहिए। पूजा के बाद सूर्यास्त होने से पहले पूजन पूर्ण हो जाना चाहिए
सोलह सोमवार उद्यापन विधि
16 सोमवार व्रत रखने के बाद 17वें सोमवार को उद्यापन करना चाहिए। सोमवार व्रत के उद्यापन में मां पार्वती, शिव जी और चन्द्र देव की विधिवत पूजा के साथ हवन करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद चार द्वारो का मंडप तैयार करें। वेदी बनाकर देवताओं का आह्वान करें। इसके साथ ही कलश स्थापना कर लें। इसके बाद शिव जी और पार्वती जी को फूल, माला, गंध,धूप, नैवेद्य, फल, दक्षिणा, ताम्बूल, फूल, दर्पण आदि कर दें। इसके बाद आप शिव जी को पंच तत्वों से स्नान कराएं। इसके बाद हवन आरंभ करें। विधिवत तरीके से हवन करने के बाद ब्राह्मणों, कन्या को भोजन कराने के साथ दक्षिणा दे दें। इसके बाद खुद भोजन कर लें।
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