Sawan Somvar Vrat Kaise Shuru Kare: हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का अपना विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि व्रत करने से भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है और मनोकामनाओं को पूर्ति होती है. इन्हीं व्रतों में से एक है सोलह सोमवार का व्रत. ज्योतिष मान्यता के अनुसार, अगर सोलह सोमवार व्रत सावन के सोमवार से शुरू किया जाता है, तो इसके दोगुने फल मिलते हैं. ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी की शादी में अड़चनें आ रही हैं या बात बनते-बनते बिगड़ जाती है, तो उसे सावन के महीने से विधि-विधान के साथ सोलह सोमवार का व्रत रखना चाहिए.
सोलह सोमवार का व्रत वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाने और मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए रखा जाता है. 16 सोमवार व्रत को पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं. सोलह सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव के साथ माता पार्वती का भी आशीर्वाद मिलता है.सोलह सोमवार व्रत को लेकर कई लोगों में कंफ्यूजन रहती है कि इसे कब से शुरू करना करना चाहिए. सोलह सोमवार की शुरुआत श्रावण मास में सबसे शुभ मानी गई है.
Bạn đang xem: Sawan Somwar Vrat 2024: सावन में 16 सोमवार का व्रत कैसे शुरू करें? पूजा विधि से उद्यापन तक, यहां जानें सारी डिटेल
सावन का महीना हिंदू धर्म का पांचवां और सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है. शिव पुराण में सावन के सोमवार का विशेष महत्व बताया गया है. अगर आप इस सावन से सोलह सोमवार का व्रत शुरू करते हैं तो आपके विवाह में आने वाली हर बाधा दूर हो सकती है. यह व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ रखने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है.
ऐसे में अगर आप भी सावन सोमवार व्रत रखने वाले हैं, तो इसकी सही विधि भी जाननी जरूरी है जिससे इसके पूरे लाभ मिल सके. इस साल सावन की शुरुआत 22 जुलाई यानी कल से हो रही है और इस दिन सोमवार है, जिसकी वजह से सावन का महत्व और ज्यादा बढ़ जाएगा. अगर आप सावन से सोलह सोमवार के व्रत का संकल्प लेना चाहती हैं तो आपके लिए व्रत का आरंभ 22 जुलाई से करना ही शुभ होगा. आइए आपको बताते हैं सावन सोलह सोमवार व्रत की विधि, नियम और उद्यापन आदि के बारे में विस्तार से.
कैसे हुई सोलह सोमवार व्रत की शुरुआत?
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शिवपुराण के अनुसार, जगत जननी देवी पार्वती ने सबसे पहले भगवान शिव को पति के रूप में पाने की कामना के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा था. जब माता सती ने दक्ष प्रजापति की पुत्री माता पार्वती के रूप में जन्म लिया, तब उन्होंने महादेव को हर जन्म में अपना पति बनाने का प्रण लिया. इसी प्रण की वजह से माता पार्वती ने सोलह सोमवार का कठिन व्रत रखा और घोर तप किया. माता पार्वती की इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने सावन के महीने में ही अपनी पत्ती के रूप से स्वीकार किया. इस प्रकार 16 सोमवार व्रत रखने से माता पार्वती महादेव की अर्धांगिनी बनीं.
सोलह सोमवार व्रत कब से शुरू करना चाहिए? (when to start 16 somvar vrat in 2024)
वैसे तो सोलह सोमवार व्रत कार्तिक और मार्गशीर्ष माह में शुरू किया जाता है, लेकिन श्रावण माह में पड़ने वाले सोमवार से 16 सोमवार व्रत शुरू करना सबसे उत्तम माना गया है. इस माह से सोलह सोमवार का व्रत करना उत्तम होता है. ऐसे में इस साल सावन सोमवार का पहला सोमवार 22 जुलाई 2024 यानी कल पड़ रहा है. इस दिन से आप 16 सोमवार व्रत रखना शुरू कर सकते हैं.
सोलह सोमवार की पूजा कितने बजे करनी चाहिए? (Solah Somwar Vrat Puja time)
शिव पुराण के अनुसार सोलह सोमवार व्रत की पूजा दिन के तीसरे पहर में यानी कि 4 बजे के आस- पास शुरू करनी चाहिए. सूर्यास्त से पहले पूजन संपूर्ण हो जाना चाहिए. ग्रंथों के अनुसार शिव पूजा प्रदोष काल में पुण्यफलदायी होती है.
सोलह सोमवार के व्रत क्या पूजा सामग्री लगती है? (16 Somvar Vrat puja samagri)
- भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग
- गंगा जल
- दूध,दही, घी
- शहद और चीनी
- सफेद चंदन
- पुष्प, फूल माला
- अक्षत
- बेलपत्र
- धतूरा
- भांग
- धूप, दीप
- अगरबत्ती
- फल, मिठाई
16 सोमवार व्रत की विधि क्या है? (Solah somvar vrat vidhi)
- सावन के पहले सोमवार को सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के पानी में काले तिल डालकर स्नान करें.
- स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और शिवजी के सामने व्रत का संकल्प लें. संकल्प लेने के बाद, सावन के हर सोमवार से लेकर पूरे 16 सोमवार तक व्रत रखें.
- सोलह सोमवार व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है. ऐसे में पूजा सूर्यास्त से पहले ही पूरी कर लेनी चाहिए.
- अगर आप घर पर पूजा कर रहे हैं तो सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें.
- फिर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत चढ़ाएं. फिर जल और गंगाजल से स्नान करें.
- इसके बाद शिवलिंग पर सफेद चंदन, बेलपत्र, धतूरा और भांग आदि अर्पित करें.
- फिर शिवजी के सामने धूप-दीप जलाएं और फल या खीर का भोग लगाएं.
- भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा जरूर करें. मां गौरी को श्रृंगार का सामना अर्पित करें.
- इसके बाद शिव चालीसा और शिव पुराण का पाठ करें. फिर नैवेद्य अर्पित करें और अंत में आरती करें.
सावन 16 सोमवार व्रत का महत्व (16 Somvar Vrat Significance)
हिंदू धर्म शास्त्रों में सोमवार को भगवान शिव का दिन कहा जाता है. इस दिन, भक्त भगवान से आशीर्वाद और उनकी कृपा पाने के लिए सभी भक्त शिव मंदिरों में या फिर घर पर ही उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. भगवान शिव भक्तों द्वारा एक जल लोटे से ही प्रसन्न हो जाते हैं और उनके जीवन से बड़ी-बड़ी कठिनाइयों को दूर देते हैं.
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कुंवारी कन्याएं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए 16 सोमवार का व्रत रखती हैं, जिससे उन्हें शिवजी जैसा जीवनसाथी मिल सके. साथ ही जिन लड़कियों की शादी में देरी हो रही है, उन्हें भी यह व्रत रखना चाहिए. यह व्रत सावन के पहले सोमवार से शुरू होता है, जो 16 सप्ताह तक चलता है. इन दिनों में लोग सोमवार का व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और कथा सुनते हैं.
सोलह सोमवार व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्रती के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और उसके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है. यह व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं के लिए शुभ फलदायी माना गया है.
16 सोमवार व्रत को करने से विवाह में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है. शादीशुदा महिलाओं के बीच भी यह व्रत बेहद लोकप्रिय है, जो इसे अपने परिवार की सुख-शांति और कल्याण के लिए रखती हैं. ऐसी कहा जाता है कि इस व्रत को करने से अविवाहित लड़कियों को योग्य वर प्राप्त होता है और विवाहित महिलाओं के पति को लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है.
सोलह सोमवार व्रत के नियम (16 somvar vrat niyam)
- 16 सोमवार व्रत के दौरान क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष आदि नकारात्मक भावनाओं से खुद को दूर रखना चाहिए.
- इस व्रत के दौरान झूठ, चोरी और अन्य अनैतिक कार्यों को करने से बचना चाहिए.
- सोलह सोमवार व्रत के दौरान ज्यादा से ज्यादा भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए और उनकी कथा सुननी चाहिए.
- सोलह सोमवार व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है, इसलिए व्रत करने वाले 16 सोमवार व्रत का संकल्प लेकर उसे जरूर पूरा करें.
- सोलह सोमवार व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए अन्यथा सभी व्रत व्यर्थ चले जाते हैं.
- सोलह सोमवार व्रती पूजा करने के बाद पूजा के स्थान पर बैठकर प्रसाद ग्रहण करें. पूजा के बीच में उठना शुभ नहीं होता है.
- इस व्रत का पालन करने को सात्विक चीजें ही ग्रहण करनी चाहिए. सोमवार के दिन भूल से भी घर में तामसिक भोजन न बनाएं.
16 सोमवार का व्रत करने के लाभ (Sawan 16 Somvar Vrat benefits)
- धार्मिक मान्यता है कि सोलह सोमवार व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही भगवान शिव की कृपा से जीवन की हर प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है.
- सोलह सोमवार व्रत को करने से विवाहित महिलाओं के वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. वहीं, अविवाहित लड़कियों को योग्य वर मिलता है.
- सोलह सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा और उनकी कथा सुनने से आध्यात्मिक उन्नति के साथ ही मन को शांति और स्थिरता मिलती है.
- ऐसा माना जाता है कि सावन से सोलह सोमवार का व्रत शुरू करने से कुंवारी लड़कियों को अच्छा, मनचाहा वर मिलता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
16 सोमवार व्रत का उद्यापन कैसे करें?
16 सोमवार व्रत करने के बाद उसका उद्यापन करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, तभी ये व्रत संपूर्ण माने जाते हैं. 16 सोमवार व्र करने के बाद 17वें सोमवार के दिन 16 जोड़ों यानी 16 स्त्री-पुरुष को भोजन कराएं और उनको दक्षिणा दें. अगर ऐसा संभव न हो तो आप 16 कन्याओं को भी भोजन करा सकते हैं या फिर ब्राह्मण को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए. 16 सोमवार व्रत का उद्यापान करने के लिए गेहूं के आटे से बने चूरमे का भोग इस्तेमाल किया जाता है.
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