क्या आपको पता है क़ि 25 दिसम्बर क्यों मनाया जाता है??? हिन्दू संस्कृति की अभूतपूर्व कहानी। जिसे सुनकर गदगद हो जायेगा हर प्राणी…
- (a – b)^3 Formula
- कितना होना चाहिए आपका blood sugar level उम्र के अनुसार, ये रहा चार्ट
- 50+ ज़िंदगी शायरी हिंदी में | Zindagi Shayari in Hindi, Urdu, Sad, & 2 Line Shayari
- Paragraph on Diwali in Hindi: दिवाली पर 100, 150, 200, से 300 शब्द, 10 लाइन
- Top 10 Construction Companies in India {2024 Updated list}
अभी यूरोप, अमरीका और ईसाई जगत में इस समय क्रिसमस डे की धूम है। अधिकांश लोगों को तो ये पता ही नहीं है कि यह क्यों मनाया जाता है।
Bạn đang xem: जागो हिन्दुस्तानी !
कुछ लोगों का भ्रम है कि इस दिन ईशदूत ईसा मसीह का जन्मदिन पड़ता है पर सच्चाई यह है कि 25 दिसम्बर का ईसा मसीह के जन्मदिन से कोई सम्बन्ध ही नहीं है।
वास्तव में पूर्व में 25 दिसम्बर को ‘मकर संक्रांति’ पर्व आता था और यूरोप-अमेरिका धूम-धाम से इस दिन सूर्य उपासना करता था। सूर्य और पृथ्वी की गति के कारण मकर संक्रांति लगभग 80 वर्षों में एक दिन आगे खिसक जाती है।
सायनगणना के अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण की ओर व 22 जून को दक्षिणायन की ओर गति करता है। सायनगणना ही प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है। जिसके अनुसार 22 दिसंबर को सूर्य क्षितिज वृत्त में अपने दक्षिण जाने की सीमा समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ करता है। इसलिए 25 को मकर संक्रांति मनाते थे।
विश्व-कोष में दी गई जानकारी के अनुसार सूर्य-पूजा को समाप्त करने के उद्देश्य से क्रिसमस डे का प्रारम्भ किया गया ।
Xem thêm : How Many Zeros are there in 1 Lakh
ईस्वी सन् 325 में निकेया (अब इजनिक-तुर्की) नाम के स्थान पर सम्राट कांस्टेन्टाइन ने प्रमुख पादरियों का एक सम्मेलन किया और उसमें ईसाईयत को प्रभावी करने की योजना बनाई गई।
पूरे यूरोप के 318 पादरी उसमें सम्मिलित हुए। उसी में निर्णय हुआ कि 25 दिसम्बर मकर संक्रान्ति को सूर्य-पूजा के स्थान पर ईसा पूजा की परम्परा डाली जाये और इस बात को छिपाया जाये कि ईसा ने 17 वर्षों तक भारत में धर्म शिक्षा प्राप्त की थी। इसी के साथ ईसा मसीह के मेग्डलेन से विवाह को भी नकार देने का निर्णय इस सम्मेलन में किया गया था। बादमे पहला क्रिसमस डे 25 दिसम्बर सन् 336 में मनाया गया।
अब आप समज गए होंगे की भारतीय संस्कृति खत्म करके ईसाई करण करने के लिए भारत में भी क्रिसमस डे मनाया जाता है।
हमारे संतों ने सदा हमें हमारी संस्कृति से परिचित कराया और आज भी हमारे हिन्दू संत हिन्दू संस्कृति की सुवास चारों दिशाओं में फैला रहे है। इसी कारण उन्हें विधर्मियों द्वारा न जाने कितना कुछ सहन भी करना पड़ा है।
अभी गत वर्ष 2014 से देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य व् शांति से जन मानस का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र के हित-चिंतक संत आसाराम बापूजी की प्रेरणा से 25 दिसम्बर “तुलसी पूजन दिवस” के रूप में मनाया जा रहा है। आप भी तुलसी पूजन करके मनाये।
जिस तुलसी के पूजन से मनोबल, चारित्र्यबल व् आरोग्य बल बढ़ता है, मानसिक अवसाद व आत्महत्या आदि से रक्षा होती है। और मरने के बाद भी मोक्ष देनेवाली तुलसी पूजन की महता बताकर जन-मानस को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषिविज्ञान से परिचित कराया संत आसाराम बापूजी ने।
धन्य है ऐसे संत जो अपने साथ हो रहे अन्याय,अत्याचार को न देखकर संस्कृति की सेवा में आज भी कार्यरत है।
Xem thêm : Mother’s Day 2024: Date, history, significance and celebration
Official Jago hindustani Visit 🏼🏼🏼🏼🏼
Youtube – https://goo.gl/J1kJCp
WordPress – https://goo.gl/NAZMBS
Blogspot – http://goo.gl/1L9tH1
Twitter – https://goo.gl/iGvUR0
FB page – https://goo.gl/02OW8R
जागो हिन्दुस्तानी
Nguồn: https://nanocms.in
Danh mục: शिक्षा
This post was last modified on November 20, 2024 4:26 am