15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं. जब 26 जनवरी को परेड निकाली जाती है तो देश के राष्ट्रपति कर्तव्य पथ पर झंडा फहराते है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने के तरीके में फर्क होता है और दोनों दिन अलग अलग तरीके से झंडा फहराया जाता है. आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर झंडा फहराने में क्या अलग हो सकता है? तो समझते हैं दोनों दिन अलग अलग तरीके से झंडा फहराने की क्या कहानी है…
- Everything About 12 Jyotirlingas
- Khatu Shyam Name | Shyam Baba Ke 11 Prasidh Naam | खाटू श्याम बाबा के 11 प्रसिद्ध नाम
- Fixed Deposit Interest: 1 लाख की एफडी पर कौन सा बैंक दे रहा ज्यादा ब्याज? जानें कहां होगी ज्यादा बचत
- Solah Somvar Vrat: कब और कैसे शुरू करें सोलह सोमवार का व्रत, जानें पूजा विधि सहित अन्य जानकारी
- अलंकार की परिभाषा, भेद, उपभेद और उदाहरण – Alankar in Hindi
नाम भी होता है अलग अलग…
Bạn đang xem: 15 अगस्त, 26 जनवरी को अलग-अलग तरह से फहराया जाता है झंडा, ये होता है फर्क?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) को जो झंडा फहराया जाता है, उनका नाम भी अलग है. जैसे 15 अगस्त को जब प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं तो उसे ध्वजारोहण कहा जाता है, जिसे अंग्रेजी में Flag Hoisting कहा जाता है. वहीं, जब गणतंत्र दिवस को झंडा फहराया जाता है तो उसे झंडा फहराना कहा जाता है, जिसे अंग्रेजी में Flag Unfurling कहा जाता है. इसका मतलब है कि 15 अगस्त को ध्वजारोहण होता है और 26 जनवरी को झंडा फहराया जाता है.
Xem thêm : Treasury Reporting Rates of Exchange
क्या फर्क है…
अब जानते हैं ध्वजारोहण और झंडा फहराने में फर्क. दरअसल, 15 अगस्त को जब प्रधानमंत्री ध्वारोहण करते हैं तो इस वक्त झंडा पोल के नीचे होता है और जब पीएम रस्सी खींचते हैं तो वो ऊपर जाता है और उसे फहराया जाता है. यानी ध्वजारोहण की स्थिति में झंडा पोल के नीचे वाले हिस्से से ऊपर की ओर जाता है. ये लाल किले पर होता है. ये राष्ट्र उत्थान, देशभक्ति और आजादी को दर्शाता है.
अब बात झंडा फहराने की. 26 जनवरी को जब झंडा फहराया जाता है तो झंडा पहले से ही पोल के ऊपरी हिस्से पर बंधा होता है और उसे राष्ट्रपति की ओर से फहराया जाता है. इस स्थिति में झंडा नीचे से ऊपर की ओर ट्रैवल नहीं करता है और झंडा पहले से ऊपर रहता है और फिर उसे फहराया जाता है. ये हमारे संविधान के प्रिंसिपल के लिए हमारे कमिटमेंट को दर्शाता है. अब आप समझ गए होंगे कि दोनों में क्या फर्क है.
Xem thêm : क्या प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होना नॉर्मल है? जानें डॉक्टर की राय
झंडा फहराने के हैं और भी नियम
झंडा फहराने के और भी नियम हैं, जिनके हिसाब से झंडा फहराना होता है. पहले तिरंगा झंडा सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता था, लेकिन अब इन नियमों में बदलाव कर दिया गया है. अब तिरंगे को रात में भी फहराने की भी अनुमति है. इसके साथ ही पहले सूती झंडा फहराने के लिए कहा जाता था, लेकिन अब पॉलिस्टर से बना झंडा भी फहराया जा सकता है. झंडा फहराते वक्त सबसे अहम ये है कि झंडा कभी भी जमीन को नहीं छूना चाहिए, इसे जमीन पर भी नहीं रखा जाना चाहिए.
इसके अलावा बिना सरकारी आदेश झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए. फहराने वाले तिरंगे झंडे को पानी में नहीं डुबाया जाना चाहिए, इस पर कुछ भी लिखा नहीं होना चाहिए. तिरंगा ऐसी जगह पर फहराया जाए जहां से वो सभी को नजर आए. तिरंगे के साथ अगर कोई और झंडा फहराया जाना है तो उसे राष्ट्रीय ध्वज के बराबर नहीं फहराना चाहिए. अगर कार पर दो देश के झंडे लगे हैं तो भारत का झंडा दाईं तरफ होना चाहिए.
Nguồn: https://nanocms.in
Danh mục: शिक्षा
This post was last modified on November 20, 2024 5:26 am